गुरुवार सुबह 7 बजे से पहले कुछ लोग बाजारों में हलवाई और अन्य दुकानों पर काम करने के लिए उनके कर्मचारी पहुंचे। घंटाघर के समीप तो पुलिस वाले ने ऐसे कई कर्मचारियों की पिटाई बना दी। सुबह सात बजने के बाद तो शहर में जैसे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। अग्रसेन सर्किल व जेल चौराहे से लोगों को शहर के भीतर नहीं आने दिया गया जिससे यहां वाहनों की लंबी कतार लग गई।
इन दोनों जगह पर लोग पुलिस को लोग अपना परिचय पत्र दिखाते रहे तो कोई अस्पताल जाने की दुहाई दे रहा था। सुबह 7 बजे चूड़ी मार्केट में राखी की दुकानें सज गई वहीं पटरी पर महिलाएं व बच्चे राखी रखकर बैठ गए लेकिन इनकी राखी खरीदने कोई नहीं आया। चौराहों पर पुलिस की इस कार्रवाई के चलते शहर में निर्धारित समय सुबह 7 बजे से 11 बजे तक भी लोग खरीददारी करने नहीं आ सके। शहर में जगह-जगह पुलिस व अधिकारियों की गाडिय़ां रही थी। शहर में जगह-जगह नगर परिषद की दमकल गाड़ी की ओर से दवा का छिडक़ाव किया जा रहा था।
सुबह 11 बजते ही बाजार में लोगों की आवाजाही जो पहले थोड़ी-बहुत हो रही थी, उसे भी रोक दिया गया। लोगों को सडक़ों से अपने घरों पर जाने की हिदायत दी गई। कई रास्ते पूरी तरह पैक-
इस बार लॉक डाउन में कई सडक़ मार्ग पूरी तरह पैक कर दिए गए हैं जिससे उन रास्तों से साइकिल भी नहीं निकल सके। अम्बेडकर सर्किल से मेहताब सिंह चौराहे व स्वर्ग रोड की ओर जाने वाले सडक़ मार्ग पर पूरी तरह बल्लियां लगा दी गई हैं। इससे इस क्षेत्र में पडऩे वाले गैर सरकारी अस्पताल में लोगों को पैदल ही जाना पड़ा।
पहले से भी सख्त लॉक डाउन- मार्च व अप्रेल में हुए लॉक डाउन से भी अब पुलिस व प्रशासन सख्त नजर आया। दोपहर के समय बाजार में हालात यह थे कि दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। होप सर्कस क्षेत्र में घुड़ सवार पुलिस दल घूम रहे थे।
बैंक के बाहर खड़े रहे कर्मचारी- शहर में गैर सरकारी व सरकारी सभी के कर्मचारी बैंकों में पहुंच गए जिनके पास उनके बैंक से अवकाश के कोई आर्डर जारी नहीं हुए। ऐसे में बैंकों के ताले खोल दिए गए। कुछ बैंक कर्मी अंदर बैठकर काम करने लगे। कई गैर सरकारी बैंकों में महिला कर्मचारी बाहर की खड़ी रही जिन्हें घर जाने की भी अनुमति तब तक नहीं मिली थी। बाद में 11 बजे बाद ये अपने घरों का लौट गए।
सरकारी कर्मचारियों को रही दिक्कत- पहले दिन ही सरकारी कर्मचारियों को स्कूल व अन्य सरकारी कार्यालय में जाना ही भारी पड़ गया। शहर कोतवाली क्षेत्र में तो कई स्थानों पर बाहर ही नहीं जाने दिया, जो ड्यूटी पर चले गए , उनका वापस आना ही मुश्किल हो गया। इसके चलते शिक्षकों का कहना था कि यदि वे घर पर ही रहते हैं तो उनकी कार्यालय में अनुपस्थिति मानी जाएगी।
नहीं आए ठेली पर सब्जी बेचने वाले, दूध की भी दिक्कत- अलवर शहर में सब्जी बेचने वाले हत्थी ठेले वालों को ही अनुमति दी गई थी। शहर में दूधियों को अंदर नहीं आने नहीं दिया तो घरों तक दूध की सप्लाई नहीं हो सकी। हत्थी ठेले पर कोई सब्जी बेचने नहीं आया। घंटाघर वाली रिटेल सब्जी मंडी तो खुली ही नहीं।