जल महल की दीवारे तथा झरोखे भी क्षतिग्रस्त हो गए। इसमें कटीली झाड़ियां, पेड़ उग आए। सरकार की ओर से ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार कराया जाता है, लेकिन अभी तक इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं आया। इस जल महल को लोग आस्था का केंद्र भी मानते हैं। यहां पूजा करते हैं। सकट, राजपुर बड़ा, देवती, मंडावरी, नरवास, लाकी, वीरपुर, प्रधान का गुवाड़ा, चील की बावड़ी, शोभापुरा, कुंडला आदि क्षेत्र की यह जल महल प्राचीन धरोहर है। लोगों ने जल महल की मरम्मत कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से मांग की है, ताकि क्षेत्र की प्राचीन धरोहर समाप्त होने से बच सके।