जांच कमेटी ने भी माना था दोषी
अस्पताल में गलत खून चढ़ाने का मामला उजागर होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। वहीं, कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में नर्सिंगकर्मी को दोषी मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी। आरोपी नर्सिंगकर्मी ने भी कमेटी के समक्ष अपनी गलती कबूल की थी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर जांच कमेटी की सिफारिश के बाद भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई और किस के दबाव में आरोपी को फिर से जनाना अस्पताल में लगाया गया ? -
यह है पूरा मामला
रैणी तहसील के डोरोली गांव निवासी नरेन्द्र मीणा (18 ) को दिमागी बुखार होने पर परिजनों ने उसे अस्पताल के ही एक चिकित्सक के घर पर दिखाया। चिकित्सक ने खून की कमी बताते हुए उसे सामान्य अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। इस पर परिजनों ने 7 अगस्त को सुबह करीब 11 बजे नरेन्द्र को सामान्य अस्पताल भर्ती करा दिया। यहां उसे सर्जिकल वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। इस बीच अस्पताल स्टाफ ने मरीज को खून चढ़ाने के लिए डोनर का इंतजाम करने को कहा। इस दौरान वार्ड में मौजूद स्टाफ जांच के लिए नरेन्द्र का ब्लड ग्रुप लेना ही भूल गया और उसके जीजा हरिओम मीणा के ब्लड ग्रुप की जांच कर शाम को उसका ” ओ पॉजिटिव” खून मरीज को चढ़ा दिया। इसके बाद 8 अगस्त को चिकित्सक ने फिर से ब्लड चढ़ाने के लिए बोला तो फिर से डोनर की व्यवस्था की गई। इस दौरान स्टाफ ने नरेन्द्र के ब्लड का सैंपल लिया तो वह ” बी पॉजिटिव” मिला, जिससे स्टाफ के हाथ-पैर फूल गए। इसके बाद मरीज और उसके परिजनों ने अस्पताल स्टाफ पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए संबंधित स्टाफ को हटाने की मांग की थी।