जेल प्रशासन के मुताबिक सजा सुनाए जाने के बाद से ही फलाहारी तनाव में दिखा और देर रात तक नहीं सोया। बैरक में जमीन पर दरी लेटा करवट बदलता रहा। देर रात उसे नींद आई। गुरुवार सुबह जेल के बैरक खुलने से पहले ही फलाहारी जाग गया। दैनिक क्रियाओं से मुक्त होने के बाद फलाहारी बैरक के पास ही बैठा रहा। इसके बाद बैरक के अंदर चला गया। उसके चेहरे पर तनाव और घबराहट साफ नजर आ रही थी। वह गुमसुम अकेले में ही बैठा रहा। कई बंदियों से उससे बात करनी चाही, लेकिन फलाहारी ने उनसे ज्यादा बात नहीं की। दिन में कुछ फल खाए और दूध पिया।
फलाहारी को तनाव में देख जेल अधिकारियों ने उससे बातचीत की। अधिकारियों के सामने फलाहारी बोला कि यह उसकी परीक्षा की घड़ी है। भगवान राम और सीता को भी परीक्षा देनी पड़ी। भगवान कृष्ण का जन्म भी जेल में हुआ। शाम को फलाहारी ने दूध पिया और फिर बैरक में चला गया।
सजा मिलने से पहले जेल में इस तरह रहता था फलाहारी सजा मिलने से पहले फलाहारी अलवर सेंट्रल जेल में केला पपीता खाता और गाय का दूध पीता। बैरक नम्बर-एक में करीब 150 बंदियों के बीच जमीन पर सोता था, लेकिन दिन में ज्यादातर अन्य बंदियों से अलग गुमसुम बैठा रहता था। जेल प्रशासन के मुताबिक फलाहारी को न्यायालय की ओर से जेल में दूध के लिए अनुमति प्रदान की हुई है। फलाहारी को पुलिस ने 23 सितंबर 2017 को गिरफ्तार किया था, इस दौरान वह एक साल अलवर जेल में था। जेल प्रशासन के मुताबिक फलाहारी जेल में कभी मौन वृत करके भी रहता था। इस दौरान वह अकेला बैठा रहता और किसी से बातचीत भी नहीं करता। नियमित रूप से पूजा-पाठ भी करता है। करीब एक साल से जेल में बंद रहने के कारण फलाहारी का वजन भी काफी कम हो गया है। फलाहारी अन्य बंदियों के बीच बैरक में दरी बिछाकर जमीन पर सोता है। शाम को 6-7 बजे बैरक बंद होने के बाद सो जाता है और सुबह छह बजे बैरक खुलने से पहले ही जाग जाता है।