दिल्ली-रेवाड़ी रेल मार्ग पर 593.97 करोड़ रुपए की लागत से परियोजना अगले साल अक्टूबर तक पूरी की जाएगी। पहली बार सिलिंडिकल फाउंडेशन का उपयोग इस कार्य में किया जाएगा। इसके द्वारा ओएचई खंभों को यांत्रिकीकृत भू-छेदन पद्धति से वास्तविक स्थान पर लगाया जाएगा। इससे रेल विद्युतीकरण कार्य में एक बड़ा बदलाव आएगा। दिल्ली सराय रोहिल्ला से गुरुग्राम रेल सेक्शन पर परंपरागत ओएचई जबकि गुरुग्राम-रेवाड़ी रेल सेक्शन पर हाइराइज ओएचई (7.57 मीटर) होगा। 80 किलोमीटर के किसी भी सेक्शन के विद्युतीकरण के लिए आम तौर पर दो वर्ष लग जाते हैं, लेकिन नई पद्धति की वजह से कार्य 9 महीनों में पूरा किया जाएगा।
कुछ दिन पहले एलएण्डटी कम्पनी को दिल्ली से रेवाड़ी, अलवर से
जयपुर व
अजमेर तक विद्युतीकरण कार्य की जिम्मेदारी मिली थी। एक सप्ताह के अंदर कार्य भी शुरू हो गया है। अब जल्द ही अलवर से
अजमेर मार्ग पर भी विद्युतीकरण कार्य शुरू हो जाएगा। इससे दिल्ली अलवर रूट पर सफर करने वाले लाखों यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। दिल्ली से अलवर तक विद्युत इंजन से चलने वाली ट्रेनों का संचालन हो सकेगा। अभी अलवर रेवाड़ी मार्ग पर केवल विद्युत इंतन से माल गाडि़यों का संचालन किया जाता है।
दिल्ली रेवाड़ी मार्ग पर विद्युतीकरण कार्य होने से दिल्ली-अहमदाबाद मार्ग पर यातायात बेहतर होगा। इस मार्ग पर ट्रेनों व यात्रियों का दबाव ज्यादा रहता है। विद्युतीकरण से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी व यातायात बेहतर होगा। इस कार्य में पहली बार आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इसलिए ८० किलोमीटर का काम केवल ९माह में पूरा होने की उम्मीद है।
नीरज शर्मा मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी, उत्तर रेलवे, दिल्ली