प्रदेश में नए जिलों की घोषणा का लंबे समय से इंतजार था। नए जिलों की घोषणा में अलवर जिले में भिवाड़ी एवं समीपवर्ती कोटपूतली को नया जिला घोषित किए जाने की चर्चा थी। हालांकि कुछ समय पहले खैरथल भी नए जिले बनने की चर्चा में आया, लेकिन राजनीतिक तौर पर भिवाड़ी व तिजारा ज्यादा प्रभावी होने के कारण लोगों को भिवाड़ी या तिजारा को नया जिला घोषित करने की उम्मीद ज्यादा थी।
खैरथल को जिला घोषित का अंचभे में डाला विधानसभा में शुक्रवार को बहस पारित कराते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने खैरथल को जिला घोषित कर सभी को अचम्भे में डाल दिया। कारण है कि लोगों को भिवाड़ी को जिला बनाने की उम्मीद थी। खैरथल को नया जिला बनाने की चर्चा को ज्यादातर लोग गंभीरता से नहीं ले रहे थे। भिवाड़ी बड़ा औद्योगिक क्षेत्र तथा वर्तमान में बीडा में आइएएस अधिकारी, एडीएम, नगर परिषद, यूआईटी, रीको, उद्योग सहित अनेक बड़े कार्यालय होने के कारण ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा था। वहीं खैरथल में फिलहाल कृषि उपज मंडी एवं नगर परिषद ही बड़े सरकारी कार्यालय हैं। इनमें नगर परिषद भी इसी बजट में खैरथल को मिली है।
ये हो सकता नए जिलों का नोटिफिकेशन कोटपूतली- बहरोड़ नए जिले में अलवर जिले के बानसूर, बहरोड़, विधानसभा क्षेत्र को शामिल किए जाने की संभावना है। वहीं नए खैरथल जिले में किशनगढ़बास, तिजारा, मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र को शामिल किए जाने की संभावना है। वहीं नव गठित डीग जिले में अलवर जिले के कठूमर विधानसभा क्षेत्र को शामिल किए जाने की उम्मीद है। हालांकि नए जिलों का परिसीमन का पता राज्य सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी करने के बाद ही चल सकेगा।
अब यह रह सकता है अलवर जिले का स्वरूप नए जिलों की घोषणा के बाद अब अलवर जिले में पांच विधानसभा क्षेत्र अलवर शहर, अलवर ग्रामीण, राजगढ़- लक्ष्मणगढ़, रामगढ़ व थानागाजी रह सकते हैं।
अलवर को नहीं बनाया संभाग, आर्थिक आधार भी छिनानए जिलों एवं संभागों की बौछार में अलवर जिला पीछे रहा। अलवर जिले को संभाग का दर्जा दिए जाने की जरूरत लंबे समय से थी, लेकिन यह घोषणा नहीं हुई। बल्कि अब तक अलवर जिले का आर्थिक आधार रहे क्षेत्र भी छिन गए।
राजनीति भी होगी प्रभावित नए जिलों की घोषणा से अलवर जिले की वर्तमान राजनीति भी प्रभावित होना तय है। अब अलवर जिले में संभवत: पांच विधानसभा क्षेत्र रहेंगे। खैरथल जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र होंगे। बानसूर, बहरोड़ विधानसभा क्षेत्र भी अलवर जिले से अलग होना तय माना जा रहा है। ऐसे में अलवर जिले की राजनीति का परिदृश्य बदलना तय है।