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सावधान! अलवर में हर साल 3 मीटर गिर रहा जलस्तर, पानी नहीं बचाया तो सूख जाएंगे कंठ

अलवर जिले में जलस्तर 300 फ़ीट से लेकर 1300 फ़ीट तक पहुंच गया है, इससे पानी की कमी का तो साफ़ पता चलता है, साथ ही खनिज युक्त पानी पीने से पथरी, ब्लड प्रेशर और जोड़ों में दर्द के मरीज बढ़ रहे हैं।

अलवरAug 13, 2021 / 12:01 pm

Lubhavan

Alwar Ground Water Level Decreasing By Three Metres Per Year

सावधान! अलवर में हर साल 3 मीटर गिर रहा जलस्तर, पानी नहीं बचाया तो सूख जाएंगे कंठ

लुभावन जोशी.

अलवर. डार्क जोन में शामिल अलवर जिले में गर्मियों के दौरान पेयजल समस्या गहरा जाती है। लोगों को पीने के लिए पानी मुश्किल से मिल रहा है। लेकिन जो पानी मिल रहा है उससे पथरी होने का खतरा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भूजल नीचे जाने से आमजन को हार्ड पानी मिल रहा है, इस कारण जिले में पथरी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। भूजल स्तर जितना अधिक होगा, उतना साफ़ पानी उपलब्ध हो पाएगा। लेकिन अलवर जिले में जलस्तर 300 फ़ीट से लेकर 1300 फ़ीट तक पहुंच गया है, इससे पानी की कमी का तो साफ़ पता चलता है, साथ ही खनिज युक्त पानी पीने से पथरी, ब्लड प्रेशर और जोड़ों में दर्द के मरीज बढ़ रहे हैं। अलवर शहर की बात करें तो यहां जलस्तर 400 फ़ीट तक नीचे जा चुका है। जलदाय विभाग के अनुसार शहर में प्रतिदिन 5 करोड़ 25 लाख लीटर पानी की आवश्यकता है, जबकि करीब 3 करोड़ 25 लाख लीटर पेयजल की सप्लाई हो रही है। फ़िलहाल 2 करोड़ लीटर पानी की कमी चल रही है। कई जगहों पर साफ़ पानी नहीं आ रहा। जो पानी दिखने में साफ़ है, असल में उसमें ऐसे खनिज हैं जिनसे पथरी होने का खतरा है। राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सतपाल यादव ने बताया कि रात्रि में प्रतिदिन 10 से अधिक पथरी से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में यह संख्या बढ़ी है।
10 सालों में 35 मीटर नीचे गया भूजल

भूजल विभाग की वेबसाइट के अनुसार अलवर जिले का पानी पिछले 10 सालों में 35 मीटर नीचे जा चुका है। प्रतिवर्ष 3 मीटर भूजलस्तर कम हो रहा है। इस कारण बोरिंग के लिए अधिकांश जगहों पर भीलवाड़ा मशीन का उपयोग हो रहा है। बानसूर में भूजल स्तर दस सालों में 28 मीटर नीचे गया है। इसके अलावा कोटकासिम व मुण्डावर में भी करीब 15 मीटर से अधिक भूजल जमीन के नीचे जाने पहुंच गया है। वेबसाइट के अनुसार बहरोड़ भूजल 100 मीटर से नीचे पहुंच गया है। असल स्थिति आंकड़ों से भी भयावह है, क्योंकि डार्क जोन में शामिल बहरोड़ का भूजलस्तर फुट पर पहुंच गया है। भूजल स्तर नीचे जाने से जिले के अधिकांश बोरवेल सूख गए हैं। वहीं हैंडपंप तो बीते जमाने की बात हो गई है।
एक्सपर्ट बोले- वर्षा जल संरक्षण सबसे जरूरी

जल व प्रकृति संरक्षण का कार्य कर रहे डॉ. विजयपाल यादव ने बताया कि अलवर का भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है, इस कारण बरसात के पानी का संरक्षण करना सबसे आवश्यक है। वहीं प्रशासन को वाटर रिचार्ज पर कार्य करना चाहिए। बांधों की शिल्ट हटाकर गहरा करना चाहिए, जिससे पानी रीचार्ज हो सके। अलवर जिला चारों ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा है, ऐसे में पहाड़ों के नीचे जोहड़ व तालाब बनाने चाहिए, इससे पहाड़ों से बहने वाला पानी एकत्रित होगा और अवैध खनन पर भी अंकुश लगेगा। सड़कों पर भी वहीं आमजन भी अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवाएं। जिससे पेयजल संकट नियंत्रण में आ सके।
आमजन पानी बचाएं

अलवर में जलस्तर नीचे जा रहा है। पेयजल संरक्षण के बारे में सभी को गंभीरता से विचार करना चाहिए। अलवर में नदी या बांध से पानी नहीं मिल रहा, जलदाय विभाग भूजल से सप्लाई कर रहा है। भूजल स्तर में बढ़ावा आए इसलिए वर्षा का जल संरक्षित करें।
अशोक यादव, अधिशाषी अभियंता, जलदाय विभाग, अलवर

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