भवानी तोप पशु चिकित्सालय में डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि शहर में उन क्षेत्रों का सर्वे करवाया जा रहा है जहां पर PIG पालन ज्यादा हो रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि फेफड़ों में परेशानी के चलते सुअरों को सांस लेने में दिक्कत के चलते मौत हो रही थी। ज्यादातर बीमार सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले हैं। पशुपालक बीमारी की सूचना देने से डर रहे हैं इससे सर्वे में दिक्कतें हो रही हैं। बीते माह केरल में भी इसी बीमारी से सैकड़ों सुअरों की मौत हो गई थी।
इलाज व पोस्टमार्टम के की टीमें गठित
बीमार सुअरों के इलाज, लेबोरेट्री टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन एवं मृत सुअरों के पोस्टमार्टम के लिए टीमों का गठन किया गया है। इसमें डा. सौभाग्यदीप शर्मा, एसवीओ डॉ. सरजीत सिंह, एलएसए राजेश शर्मा और अमित गुर्जर को शामिल किया गया है। ये सभी अपनी रिपोर्ट पॉली क्लिनिक अलवर को देंगे।
मनुष्यों पर नहीं पड़ता है प्रभाव
अफ्रीकी स्वाइन फ्लू एक वायरल बीमारी है जिसमें सुअरों की मृत्यु दर 100 फीसदी तक हो सकती है। वायरल का प्रकोप घरेलू और जंगली सुअरों को प्रभावित करता है। हालांकि यह मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है, यह शारीरिक संपर्क और गंदे पानी से एक PIG से दूसरे PIG में फैलती है।
तेज बुखार और सांस में दिक्कत
अलवर में अब तक 100 से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सक डा. सौभाग्यदीप शर्मा ने बताया कि इससे पहले यह बीमारी जयपुर, केरल, पंजाब और हरियाणा के सुअरों में भी हो चुकी है। बीमारी किसी इंफेक्शन या वायरल के कारण भी हो सकती है। इसलिए पशुपालकों को सब्जी मंडी व होटल से खराब सामान व सब्जी खिलाने को मना किया है। इस बीमारी में तेज बुखार, भूख में कमी, कमजोरी, लाल धब्बेदार त्वचा या त्वचा के घाव, दस्त और उल्टी, खांसी और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं।