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इलाहाबाद का नाम आते ही जेहन में नेहरू.गांधी परिवार से जुड़ा आनंद भवन या स्वराज भवन आ जाता है। कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ रह चुके इलाहाबाद शहर से नेहरू गांधी परिवार की जड़ें इतनी मजबूत है कि आज भी कांग्रेस और नेहरू परिवार के बिना यहां की राजनीतिक चर्चा नहीं हो सकती। आनंद भवनध्स्वराज भवन में तो हर रोज सैकड़ों लोग आज भी आते.जाते रहते हैं लेकिन शहर से कुछ दूरी पर एक जगह ऐसा है भी है जो दशकों से इंतजार ही करता रह गया। आज एक बार फिर यह इंतजार पूरा न सका। शहर से कुछ दूरी पर चलते ही ममफोर्डगंज है। ममफोर्डगंज क्षेत्र में एक पारसी कब्रिस्तान हैं। इस कब्रिस्तान में दुनिया में आयरन लेडी के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चिरनिंद्रा में अपने अपनों का इंतजार कर रहे हैं। यह राजनीति के दो युवा चेहरों राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के दादा फिरोज गांधी की कब्र है। आज फिरोज गांधी की पुण्य तिथि थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के दो युवा चेहरों के दादाश्री की पुण्य तिथि। पत्रिका टीम ने रविवार को ममफोर्डगंज पहुंच जब हकीकत देखी तो नजारा निराश करने वाला था। सैकड़ों कब्रों के बीच संगमरमर से बनी फिरोज जहांगीर गांधी की कब्र को एक फूल तक नसीब नहीं हुई थी। आसपास घास उगी थी। उगी घास से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते कई सालों से शायद ही यहां कोई आया होगा। यह बात दीगर है कि सोनिया.राहुल और प्रियंका तक इलाहाबाद में कुछ दिनों के अंतराल में आते रहते हैं।
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इंदिरा-फिरोज की शादी 1942 में हुई थी बापू ने दिया था आशीर्वाद
पारसी परिवार से ताल्लुक रखने वाले फिरोज गांधी की 1942 में इंदिरा गांधी के साथ शादी हुई थी। रायबरेली के सांसद रहे फिरोज का नाम कांग्रेस के कद्दावर इमानदार नेताओं में शामिल था। लेकिन यह उनका दुर्भाग्य है की उनके परिवार का कोई भी सदस्य यहां नहीं आता। पारसी कब्रिस्तान के केयरटेकर बृजलाल ने बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी यहां पर देखरेख कर रही है। उनके पुरखे बताते हैं कि फिरोज गांधी की मजार पर संजय गांधी या पूर्व पीएम राजीव गांधी भी कभी नहीं आए। इंदिरा गांधी भी सिर्फ एक बार आई हैं। राजनीति में आने के बाद राहुल गांधी एक बार अपने दादा की मजार पर पहुंचे हैं। सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभालने के बाद एक बार श्रद्धांजलि दी है। हालांकिए इसके बाद कई ऐसे मौके आए जब गांधी परिवार एक साथ शहर में मौजूद रहा लेकिन फिरोज गांधी को नमन करने नहीं पहुंचा। बीते साल इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर आनंद भवन में आयोजन हुआ। पूरा गांधी परिवार यहां मौजूद था लेकिन किसी ने फिरोज गांधी के मजार पर जाने की जहमत नहीं उठाई। जब प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में आई तो माना गया कि वह अपने पुरखों के शहर आएंगी तो अपने दादा से आशीर्वाद लेने जरूर पहुंचेंगी। पर प्रियंका गांधी भी अपने दादा को याद नहीं कर सकी। बीते विधानसभा चुनाव का आगाज प्रयागराज से बनारस की जलमार्ग से किया लेकिन दादा की कब्र पर नहीं पहुंची।
तो इस वजह से कोई नहीं आता यहां
जानकारों के कई मत है कि नेहरू.गांधी परिवार का फिरोज गांधी से तालुकात अच्छा नहीं था। पंडित जवाहरलाल नेहरू इंदिरा और फिरोज के रिश्ते को बहुत कम पसंद करते थे। वही आखिरी दौर में इंदिरा और फिरोज अलग हो गए थे। हालांकि, इतिहास के पन्नों में कुछ भी दर्ज हो लेकिन इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ही थे। जिनके बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी थे। एक तरह से देखा जाए तो पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी के हाथों में बागडोर आई पार्टी इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की पीढ़ी आगे बढ़ी और फिरोज गांधी के बेटे राजीव और संजय ने सियासी विरासत आगे बढ़ाई लेकिन दुर्भाग्य है फिरोज गांधी की कब्र हर साल इंतजार ही करती रह जाती है।
मुंबई से आकर इलाहाबाद में बसा था फिरोज का परिवार
फिरोज गांधी का परिवार मुंबई से आकर इलाहाबाद में बसा था। आज भी उनके परिवार के कुछ लोग यहां रहते हैं। कुछ लोग कोलकाता और मुंबई में शिफ्ट हो गए। एक तरफ जहां गांधी परिवार के चेहरों को याद करने के लिए कांग्रेस पार्टी बड़े आयोजन करती है लेकिन इंदिरा गांधी के पति फिरोज की कब्र पर कोई नहीं पहुंचता। दिल्ली में इंदिरा गांधी की समाधि 45 एकड़ में बनी हैए वहीं फिरोज गांधी की कब्र पारसी समाज के कब्रिस्तान में हैं।