मलाक बलऊ गांववालों के लिए 28 दिसंबर 2016 की सुबह दशहत भरी थी। झारखंड के लातेहार के कटिया जंगल में नक्सलियों ने हमला किया। इसमें 13 जवान शहीद हुए, जिसमें बाबूलाल पटेल भी शामिल थे। नक्सलियों ने बाबूलाल की हत्या के बाद उनके पेट में 10kg बम प्लांट किया। उनका प्लान था कि पोस्टमॉर्टम के दौरान भारी विस्फोट कर कई लोगों को मौत के घाट उतार सके। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसे नाकाम कर दिया।
शहीद की मां ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ने में तेज-तर्रार था। हाईस्कूल पास करते ही फौज की नौकरी के बारे में बात करता था। पढ़ाई के साथ ही वह सेना में जाने की तैयारी करने में लगा रहता था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बाद भी, सीआरपीएफ में भर्ती होने का सपना पूरा किया। उसे बचपन से ही शहीदों की कहानी सुनना पसंद था। लोग अब शहीद की मां के नाम से बुलाते हैं। यह सुनकर आंखों में आंसू आ जाते हैं।
साल 2008 में रेखा से शहीद की शादी हुई थी। पत्नी ने पति की शहादत के 6 महीने बाद 2 जुलाई 2013 को बेटे अंश को दिया, जो अब साढ़े 4 साल का हो गया है। शहादत से 15 दिन पहले ही पत्नी रेखा ने पति को प्रेग्नेंसी के बारे में बताया था। तब वो बहुत खुश हुए थे, उनका सपना था कि उन्हें उनकी सन्तान पापा कहकर बुलाए।
भारत में हर साल 15 जनवरी आर्मी डे के रूप में मनाया जाता है। लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा के भारतीय थल सेना के मुख्य कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर (कमांडर इन चीफ, भारत) जनरल रॉय बुचर से ये पदभार ग्रहण किया था। इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है।