1992 में मणिपुर बैच से आईएएस अधिकारी बने विनीत जोशी
विनीत जोशी ने इलाहाबाद के एनी बेसेंट स्कूल और जीआईसी से शुरुआती पढ़ाई की थी। आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एमबीए भी किया था। इसके बाद 1992 में मणिपुर बैच से आईएएस अधिकारी बने।
विनीत को मणिपुर के मामलों का जानकार माना जाता है
तीन दशक लंबे अनुभव के दौरान उन्होंने खेल मंत्रालय से लेकर शिक्षा विभाग तक अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं। मणिपुर के मामलों के वह जानकार माने जाते हैं। ऐसे में वह मणिपुर के हालातों को समझते हुए जरूरी कदम उठा सकेंगे। इसी उम्मीद में सरकार ने उन्हें मुख्य सचिव नियुक्त किया है।
अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ द कैबिनेट (ACC) ने आईएएस विनीत जोशी को वापस मणिपुर कैडर में भेजने का आदेश जारी कर दिया है। एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि मणिपुर सरकार ने रविवार को डॉ विनीत जोशी को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया, जो पिछले कुछ दिनों से हिंसा से प्रभावित है।
डॉ. राजेश कुमार की जगह ली है
मणिपुर कैडर के 1992 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी जोशी ने डॉ. राजेश कुमार की जगह ली है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आए जोशी शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे।
कार्मिक मंत्रालय के 6 मई के आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मणिपुर सरकार के अनुरोध पर जोशी को उनके मूल कैडर में वापस भेजने की मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (कार्मिक प्रभाग) के एक आदेश के अनुसार, “मणिपुर के राज्यपाल तत्काल प्रभाव से डॉ विनीत जोशी को मुख्य सचिव नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं।
डॉ. विनीत जोशी को अब तक मुख्य सचिव रहे डॉ. राजेश कुमार की जगह पर यह जिम्मा मिला है। सीबीएसई के चेयरमैन के तौर पर भी विनीत जोशी लंबे समय तक काम कर चुके हैं और कई सुधारों को अंजाम देने में उनकी अहम भूमिका रही है।
पड़ोसी देश म्यांमार में भी 300 लोगों ने शरण मांगी
बता दें कि मणिपुर की हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। 3000 से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा है। इनमें से 2300 लोग असम चले गए हैं तो वहीं 300 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। यही नहीं पड़ोसी देश म्यांमार में भी 300 लोगों ने शरण मांगी है।
अब तक 23 हजार से अधिक लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से बचाया गया है
बिहार, यूपी समेत देश के कई राज्यों ने 23000 से ज्यादा लोगों को मणिपुर से बाहर निकाला है। इस बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, जहां शीर्ष अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि वह विस्थापितों को उनके घरों में वापस लाए और धार्मिक स्थलों की रक्षा करे।
मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में 3 मई को 10 पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसक झड़पें हुईं। अब तक 23 हजार से अधिक लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से बचाया गया है और उन्हें सैन्य छावनियों में ले जाया गया है।