फर्रुखाबाद स्थित एस आर कोल्ड स्टोरेज व संचालक पर आयकर विभाग के नेशनल फेसलैस सिस्टम ने उस बैंक खाते को भी कारोबारी का बता दिया, जिसका उससे कोई नाता नहीं था। उस खाते में करीब 13 करोड़ रुपए जमा हुए थे। एक अन्य खाते में लगभग 3 करोड़ रुपए जमा हुए थे। कारोबारी द्वारा साक्ष्य दिए जाने के बावजूद विभाग ने नकार दिया। 16 करोड़ रुपए की कारोबारी की अघोषित यानी बेनामी संपत्ति मानते हुए टैक्स निकाल दिया।
यह भी पढ़े –
अग्निवीरों का पहला बैच यूपी के कानपुर से, फिजिकल और मेडिकल के बाद तैयार फौजी नई धारा के तहत हुई कार्यवाही ये बेहद गंभीर मामला था क्योंकि नोटबंदी के बाद नई धारा 115 बीबीई के तहत की गई ये कार्यवाही काफी सख्त है। यूं समझिए कि नोटबंदी से पहले अघोषित आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता था। नोटबंदी के बाद अघोषित रकम पर 60 फीसदी टैक्स, टैक्स की रकम पर 15 फीसदी सरचार्ज, उस पर 10 फीसदी पेनाल्टी, 7 प्रतिशत सेस मिलाकर 83 फीसदी देनदारी बनती है। पेनाल्टी प्रक्रिया अलग से लगती है, जिसमें 300 फीसदी तक पेनाल्टी का प्रावधान है। यानी करदाता सड़क पर आ जाएगा।
लगातार लापरवाही के मामले आने के बडी पेनाल्टी एस आर कोल्ड स्टोरेज के केस का भी यही हश्र होना था। आयकर विभाग की अपीलीय अदालत में जाने के लिए भी कारोबारी को 20 फीसदी यानी करीब 3.60 करोड़ रुपए जमा करने पड़ते। इसीलिए कारोबारी आयकर विभाग की अपीलीय अदालत में जाने के बजाय सीधे हाईकोर्ट चले गए। कर संबंधी मामलों में अदालतों के ऐतिहासिक फैसलों का अध्ययन कर उन्हें नजीर के रूप में पेश करने का काम कर रहे वरिष्ठ सलाहकार सीए मिलिन्द वाधवानी ने बताया कि लगातार लापरवाही के मामले आने के बाद 50 लाख की बडी पेनाल्टी लगाई गई है। हाल में नागपुर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड पर 50 हजार रुपए की पेनाल्टी लगाई गई है। उन्होंने बताया कि आयकर अफसरों को पेनाल्टी के 50 लाख रुपए सरकारी खजाने के बजाय अपनी जेब से भरने होंगे।