आजाद देश के पहले कुंभ में पहले राष्ट्रपति ने लगाई डुबकी
दरअसल, आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत कुम्भ, अर्धकुम्भ और माघ मेले का आयोजन करती थी। मेले का प्रबंधन संभालने के लिए इंग्लैंड से अफसर बुलाए जाते थे। आजाद देश का पहला कुंभ 1954 में आयोजित हुआ और इसके लिए प्रदेश सरकार ने महीनों पहले तैयारी शुरू कर दी थी। इस कुम्भ में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आने से यह कुंभ यादगार बन गया।पहले कुंभ में क्या-क्या व्यवस्थाएं थी?
इस मेले के शुरू होने से पहले जनता को टीकाकरण के लिए जागरूक किया गया। करीब 250 मन कीटनाशक का छिड़काव किया गया। संक्रमण और बीमारियों से श्रद्धालुओं को बचाने के टीका लगाया गया था। आजादी के बाद कुम्भ मेले में पहली बार एक हजार स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी। भूले-भटकों को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए थे। संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के इलाज को तंबुओं में सात अस्थाई अस्पताल बनाए गए थे। एंबुलेंस की व्यवस्था भी थी। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर कुंभ की तैयारी देखी थी। यह भी पढ़ें