बलिया कलेक्ट्रेट सभागार में जिला विकास समन्वय एवं श्रवण समिति ‘दिशा’ समिति की बैठक चल रही थी। इस दौरान विधायक ने कुछ कहना चाहा, जिसपर मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि पहले उन्हें बोलने दें आपका मौका आएगा तो अपनी बात रख सकते हैं। विधायक के बोलने के दौरान मीटिंग में मौजूद किसी व्यक्ति ने टिप्पणी कर दी, जिसके बाद विधायक जी नाराज हो गए। समर्थकों ने नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। दोनों के समर्थक आमने सामने आ। हंगामा कर रहे समर्थकों को बाहर निकाले जाने पर मामला और बढ़ गया। डीएम एसपी ने किसी तरह हंगामा शांत करने की कोशिश भी की।
हंगामा देख संसदीय कार्य व ग्राम्य विकास मंत्री आनंद स्वरुप शुक्ल वहां से निकल गए। नाराज विधायक ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया और वहां से उठकर चले गए। बाहर विधायक ने मीडिया के सामने सांसद पर जमकर आरोप लगाए। उनका आरोप था कि अध्यक्ष जिसको चाहते हैं बैठाते हैं, यह मनमानी है। बैठक में केवल सूची में चिन्हित लोग ही बैठने चाहियें।
उधर मीटिंग से बाहर निकले सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त ने खुद को मीटिंग का चेयरमैन बताते हुए कहा कि मेरा विशेषाधिकार है। कोई गलत काम के लिये अधिकारियों पर दबाव बनाएगा तो मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। वह चाहे किसी भी पार्टी के विधायक या सांसद हों।