ये भी पढ़ें- कोरोनाः लक्षण हैं तो न लें टेंशन, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की दवाईयों की लिस्ट, जानें कब और कैसे खाएं यूं हो रही वसूली- प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे स्थित फाफामऊ घाट का एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें अंतिम संस्कार के लिए मुंह मांगी कीमत वसूलने के बाद भी गीली लकड़ियां दी जा रही है। इससे दाह संस्कार की रस्म पूरी होने में भी काफी समय लग रहा है। वाराणसी की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। यहां के हरिश्चंद्र घाट पर अपने चाचा के अंतिम संस्कार के लिए आए 35 वर्षीय राजेश सिंह से मौजूद प्रबंधक ने उनसे 11,000 रुपये मांगे। राजेश सिंह ने जब अपनी आर्थिक परेशानी का हवाला दिया तो और कहा कि अंतिम संस्कार की लागत 5,000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। तो जवाब में प्रबंधक ने उन्हें शव को वापस ले जाने के लिए बोल दिया। एक अन्य मामले में इसी घाट पर 35 वर्षीय पीड़ित ने ने अपनी चाची के अंतिम संस्कार के लिए 21,000 रुपये दिए तो बाद में दादी के दाह संस्कार के लिए 25000 रुपये देने पड़ गए।
ये भी पढ़ें- यह सात दिन है बेहद खतरनाक, कोरोना होगा पीक पर, बरतें सबसे ज्यादा सावधानी पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर संक्रमित-वहीं मुर्दाघरों में डॉक्टरों के संक्रमित होने के कारण शवों के पोस्टमार्टम की रफ्तार भी धीमी पड़ गई है। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पोस्टमार्टम हाउस के प्रभारी सहित अन्य स्टाफ कोरोना संक्रमित हो गए हैं। यहां दो डॉक्टर तैनात किए गए हैं, लेकिन केवल एक ही उपस्थित हैं। जिस कारण पोस्टमार्टम होने में देरी हो रही है। डॉक्टर की कमी के कारण कई लाशें ऐसे ही रखी हुई हैं। पोस्टमार्टम दस-दस घंटे लेट हो रहे हैं।