इस प्रकरण में 22 जनवरी 19 को चीफ जस्टिस महोदय की खंडपीठ ने प्राधिकरण को किसी शवदाह गृह के लिए किसी दूसरी जगह को खोजने का विकल्प भी दिया था। पुनः 1 फरवरी 2019 को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सीडी सिंह की खंडपीठ ने मेला अधिकारी को अपने व्यक्तिगत हलफनामे के साथ सारे तथ्यों को प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। पुनः 15 फरवरी को जस्टिस बघेल और जस्टिस भाटिया की खण्डपीठ ने आदेश दिया कि मेला अधिकारी अपना निजी हलफनामा दाखिल कर बतावे कि शवदाहगृह का निर्माण गंगा तट के 500 मीटर के भीतर क्यों किया जा रहा है जबकि गंगा पाल्युशन बनाम यूपी व अन्य (4003/2006) में गंगा के उच्चतम बाढ़ स्तर से 500 मीटर तक के समस्त निर्माण पर रोक लगा रखी है। प्राधिकरण ने स्वीकार किया है कि शवदाहगृह गंगा तट से 300 मीटर की दूरी पर निर्मित हो रहा है। आज जब याचिका प्रस्तुत हुआ तो मेला अधिकारी द्वारा कोई हलफनामा नही दिया गया। कोर्ट ने 15 मार्च को न्यायालय में उन्हें उपस्थित होने का आदेश दिया है।