scriptइलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- साक्ष्य पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है, जानिए क्यों | Allahabad High Court said that the evidence cannot be disbelieved beca | Patrika News
प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- साक्ष्य पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है, जानिए क्यों

गांजा तस्करी मामले के आरोपी की सुनवाई को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। मामले कोर्ट ने फैसले को लेकर कहा कि एक लोक अधिकारी के साक्ष्य को केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है कि वह पुलिस अधिकारी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोट किया, “रिकवरी रात में हुई थी और उस समय महामारी और एकांत के कारण उस समय कोई भी सार्वजनिक गवाह उपलब्ध नहीं हो सका।

प्रयागराजMar 09, 2022 / 05:32 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- लोक अधिकारी के साक्ष्य पर इसलिए अविश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पुलिस अधिकारी है, जमानत से किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- लोक अधिकारी के साक्ष्य पर इसलिए अविश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पुलिस अधिकारी है, जमानत से किया इनकार

प्रयागराज: मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों ने नारकोटिक ड्रग्स व साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत तलाशी और जब्ती के अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया है। मामले में आवेदक ने तर्क दिया था कि राजमार्ग पर कथित रिकवरी कार्यवाही के बावजूद उक्‍त कार्यवाही में पुलिस ने कोई सार्वजनिक गवाह नहीं लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोट किया, “रिकवरी रात में हुई थी और उस समय महामारी और एकांत के कारण उस समय कोई भी सार्वजनिक गवाह उपलब्ध नहीं हो सका।
यह भी पढ़ें

69 हजार शिक्षा भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट को चुनौती देने के लिए यूपी सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट, 8 अप्रैल को होगी सुनवाई

इसके अलावा, कानून में यह स्थापित है कि सार्वजनिक अधिकारी के साक्ष्य को केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया सकता है कि वह एक पुलिस अधिकारी है। मौजूदा मामले में पुलिस ने पेट्रोलिंग के दरमियान एक डंपिंग ट्रक से 1025 किग्रा गांजा बरामद किया था। ट्रक को सह आरोपी विनोद सिंह चला रहा था और आवेदक ट्रक पर बैठा था। तदनुसार, आवेदक और सह-अभियुक्तों पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20/29 के तहत मामला दर्ज किया गया।
यह भी पढ़ें

Allahabad High Court: सीबीआई ने निठारी कांड में शामिल पीड़िताओं की पेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, खुलेंगे कई राज

मामले में आवेदन ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक वाहन में एक यात्री रूप में सवार था और उसे बरामद प्रतिबंधित सामग्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही उसके पास से कोई प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया था। मामले आरोपी की तरफ से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि धारा 42,50,52, 53, 57 के नियमों का पालन नहीं किया गया था और इसलिए आवेदक को जमानत दिया जाना चाहिए।
राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक अंतर-राज्यीय तस्करी में शामिल था, जिसे एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत आवेदक द्वारा दिए गए एक बयान में स्वैच्छिक रूप से स्वीकार किया गया था। वकील ने यह भी कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 का अनुपालन किया गया था क्योंकि एक राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति में आरोपियों की तलाशी ली गई थी।

Hindi News/ Prayagraj / इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- साक्ष्य पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है, जानिए क्यों

ट्रेंडिंग वीडियो