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प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 लाख से ज्यादा पेंडिंग केस, कोरोना संकट के कारण बढ़ रहा मुकदमों का बोझ

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते एक बार फिर मुकदमों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वर्चुअल सुनवाई हो रही है। विचाराधीन मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 1 मई 2021 तक हाई कोर्ट में पेंडिंग केस की संख्या बढ़कर 10 लाख से अधिक पहुंच चुकी है।

प्रयागराजJun 13, 2021 / 12:56 pm

रफतउद्दीन फरीद

श्रीकृष्ण विराजमान परिसर के सर्वे की मांग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला जज से मांगी आख्या

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज. कोरोना संकट के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट का कामकाज प्रभावित हुआ है। जजों की कमी और पहले से अधिक मुकदमों का दबाव झेल रहे हाईकोर्ट में पेंडिंग केस बढ़कर 10 लाख से अधिक हो गए हैं। हालांकि वर्चुअलल सुनवाई का विकल्प है, लेकिन उसमें भी कई किस्म की परेशानियां आ रही हैं। नतीजतन समय पर मुकदमों का निपटारा नहीं हो रहा और मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बार एसोसिएशन ने एक बार कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक बार फिर से मुकदमों की फिजिकली सुनवाई शुरू कराने की मांग की है।


कोरोना संकट आने के बाद अलादलतों का कामकाज भी प्रभावित हुआ। वर्चुअल सुनवाई कर ज्यादा से ज्यादा केस निपटाने की कवायद की जा रही है। बावजूद इसके विचाराधान मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। बीते दो माह में ही हाईकोर्ट में 24 हजार से अधिक नए केस दाखिल किये गए हैं। हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार एक मई 2021 तक प्रधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट में 7,88,399, जबकि लखनऊ बेंच में 2,24,316 मुकदमे पेंडिंग हैं। दोनों को मिला दें तो ये संख्या 12 लाख 12 हजार 715 पहुंच जा रही है। हालांकि हाईकोर्ट की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा मुकदमों का निपटारा कर दिया जाए। आधे से अधिक मुकदमे तत्काल निस्तारित कर दिये जा रहे हैं।


मुकदमों की सुनवाई में जजों की कमी भी आड़े आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्तमान समय में जहों के 160 पद स्वीकृत हैं। इनमें से भी सिर्फ 98 जज ही कार्यरत हैं, शेष खाली पड़ा है। यानि 98 जजों पर 10 लाख से अधिक मुकदमों की सुनवसाई का दबाव है। हाईकोर्ट कोलोजियम की ओर से 31 वकीलों को जज के रूप में नियुक्त किये जाने के लिये सरकार के पास नाम भेजे गए हैं। अभी इनकी जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलोजियम की संस्तुति बाकी है।


बीते साल 19 मार्च 2020 को कोरोना संक्रमण के चलते हाईकोर्ट बंद किया गया था। संक्रमण कम होने पर हाईकोर्ट खुला, लेकिन स्थिति सामान्य हो पाती इसके पहले ही दूसरी लहर आने से मुकदमों की फिजिकल सुनवाई नहीं हो पा रही। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वर्चुअल सुनवाई तो हो रही है, लेकिन लिंक न मिलना, नेटवर्क की समस्या जैसी दिक्कतें परेशानी खड़ी कर रही हैं। मुकदमों की बढ़ती संख्या और वादकारियों की परेशानियों को देखते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से मांग किया है कि कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए एक बार फिर से फिजिकल सुनवाई की व्यवस्था शुरू की जाए।


बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ्ज्ञ सिंह की मानें तो दो महीने में 24 हजार नए मुकदमे दाखिल हुए हैं। उनके अनुसार वर्चुअली सुनवाई की व्यवस्था के चलते इन मुकदमों की सुनवाई प्रभावित हो रही है। बार एसोसिएशन को उम्मीद है कि चीफ जस्टिस के निर्देश पर जल्द ही फिर से पुरानी व्यवस्था के अनुसार मुकदमों की सुनवाई होगी। इससे लम्बित मुकदमों की सुनवाई में तेजी आएगी।

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