याचिकाकर्ता कालीचरण पर मृतका को परेशान करने, जिंदा जलाकर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया गया है। मामले में कोर्ट में पेश किया और तर्क दिया किया गया कि मृतका को दुर्घटनावश जलने से चोंटे आई है। कहने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी मृत्यु के बाद शरीर को उसके पिता को सौंप दिया गया। न्यायालय के समक्ष यह भी कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन दाखिल करने से पहले मृतका के पिता ने पुलिस अधिकारियों को शिकायत की। शिकायत में याचिकाकर्ता के पक्ष में एक जांच की गई।
दूसरे पक्ष ने कोर्ट से कही यह बातें कोर्ट के समझ दूसरे पक्ष में मृतका के पिता की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट से कहा कि दहेज की मांग को लेकर पूर्व में विवाद था और दोनों पक्षों के बीच एक समझौता किया गया। इसके तहत मृतका याचिकाकर्ता के साथ रहने लगी। लेकिन उसके बाद भी मृतका ने परिजनों को फोन करके सूचित किया कि उसे दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। आगे यह भी पेश किया गया है कि जब 14 मार्च, 2021 को लडक़ी के पिता ने अपनी बेटी (मृतका) को उसके मोबाइल फोन पर कॉल किया तो याचिकाकर्ता आरोपी ने कॉल रिसीव किया और कहा कि यहां पर सब ठीक है।
इसके बाद 18 मार्च, 2021 को याचिकाकर्ता आरोपी ने पहले मृतका के पिता को फोन कर मृतका की मौत की सूचना दी। यह तर्क दिया गया कि कथित घटना और उपचार के बारे में पहले मृतका के पिता को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कई अस्पतालों में उपचार हुआ। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के संलिप्त पर अवलोकन किया और एफआईआर में संगीन अपराध तत्व शामिल हुआ। मामले को गंभीरता से देखते हुए कि प्रथम सूचना रिपोर्ट को याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए सबमिशन के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता और उसके बचाव में दायर याचिका को अदालत ने तत्काल खारिज कर दिया।