ये भी पढ़ें- शस्त्र के शौकीनों के लिए बड़ी खबर, नई आधुनिक रिवॉल्वर ‘प्रहार’ हुई लॉन्च, जानें खासियत व कीमत इससे पूर्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा था कि राज्य के सभी मठ व मंदिर सुरक्षित हैं। उन्हें किसी प्रकार का खतरा नहीं हैं। महंत नरेंद्र गिरी का कहना था कि यदि धार्मिक स्थलों के लिए कोई अध्यादेश लाना व इसके लिए कोई निदेशालय गठन करना अनिवार्य है तो इससे पहले संतों की भी राय ली जानी चाहिए। उनका मानना है कि किसी भी तरीके से साधु-संतों को राज्य सरकार व अधिकारियों के अधीन लाना उचित नहीं होगा। प्रदेश में पहले से जो व्यवस्था चल रही है वह उचित है।
ये भी पढ़ें- रामलला दर्शन को बढ़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, एक लाख रुपए रोज आ रहा चढ़ावा अध्यादेश लाने के पीछे यह है मकसद-दरअसल यूपी सरकार (UP Government) चाहती है कि धार्मिक स्थलों पर हक जताने जैसे विवाद खत्म हों और इनका बेहतर संचालन हो सके। इसके लिए जो अध्यादेश लाया जाएगा, उसके अंतर्गत नियमावली बनाई जाएगी, जिसका पालन करना अनिवार्य होगा। इन संस्थानों के संचालन, सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था होगी। यही नहीं इन स्थलों पर आने वाले चढ़ावे व चंदा का सदुपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। धार्मिक स्थलों को संचालन समिति के बारे में पूर्ण जानकारी भी उपलब्ध करानी होगी।