दरअसल सोमवार को विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें कुलपति समेत अन्य प्रोफ़ेसर मौजूद रहे। विश्वविद्यालय में चल रही तमाम गतिविधियों की समीक्षा के साथ छात्रसंघ चुनाव को समाप्त करने का भी प्रस्ताव भी रखा गया जिसको सर्वसम्मति से पास भी कर दिया गया। इस बैठक में फैसला किया गया कि विवि प्रशासन कैंपस में छात्र परिषद लागू किया जाएगा जो छात्रों की हितों का खयाल रखेगा। ताकि छात्र राजनीति के नाम पर बढ रहे तमाम आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाया जा सके। हालांकि अब इस पर फैसला विवि परिषद को करना है।
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इस मसले पर पत्रिका से बातचीत में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रामसेवक दूबे ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि छात्र संघ चुनाव ना होकर छात्र परिषद का गठन होगा जिससे कैंपस में अराजकता पर रोक लगाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि लिंगदोह की सिफारिशों में कहा गया है कि जिस कैंपस में पांच हजार से अधिक छात्र पंजीकृत है वहां सीधे तौर पर चुनाव ना कराकर छात्र परिषद का गठन किया जा सकता है। हमने उसी को ध्यान में रखकर इस पर विचार किया है।
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वहीं इसे लेकर छात्रों ने भी आवाज बुलंद कर दिया है। छात्र संघ के अध्यक्ष उदय यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का तानाशाही पूर्ण निर्णय है इसका विरोध होगा। इसकी लड़ाई विश्वविद्यालय कैंपस से लेकर सड़कों तक लड़ी जाएगी। विश्वविद्यालय अपना प्रस्ताव लाए और पास करे लेकिन हम उसे नहीं मानेंगे। छात्र संघ छात्रों का है विद्यालय प्रशासन की जागीर नहीं है। यादव की अगुवाई में जुटे सैकड़ों छात्रों ने कहा कि यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। इस ऐतिहासिक छात्रसंघ भवन में हम ताला नहीं लगने देंगे।