कुलपति ने छात्रों से आग्रह किया है कि वे अमुवि प्रशासन द्वारा गत दिनों लिए गए निर्णय के बारे में जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष तक न पहुँचें अथवा उन लोगों की बातों में न आएँ जिनको उन परिस्थितियों का पता नहीं है, जिनमें विश्वविद्यालय को काम करना पड़ रहा था। कुलपति ने पत्र में कहा है कि उन्हें विश्वविद्यालय के छात्रों के विवेक पर पूर्ण विश्वास है तथा उन्हें यह भी आशा है कि वे स्वार्थी तथा अवसरवादी तत्त्वों को अपनी समस्याओं का दुरुपयोग करने का अवसर नहीं देंगे । कुलपति ने कहा है कि छात्र ऐसे शरारती तत्त्वों को चिह्नांकित करने में प्रशासन की सहायता करें जो छात्रों तथा प्रशासन के बीच अविश्वास की खाई बनाना चाहते हैं।
कुलपति ने पत्र में कहा है कि उन्हें 15 दिसंबर की घटनाओं पर अत्यंत खेद है, विशेषकर उन छात्रों के लिए जिन्हें पुलिस कार्रवाई के कारण चोट पहुँची अथवा मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा। पत्र में कहा गया है कि 15 दिसंबर की रात जो निर्णय लिया गया था, वह पूर्णतः भलाई की नीयत से लिया गया था। मूल रूप से इस निर्णय का उद्देश्य उन छात्रों की भीड़ को विसर्जित करना था जो इस भ्रामक अफ़वाह से उग्र थे कि जामिआ मिल्लिया इस्लामिया के दो छात्रों की मृत्यु हो गयी है। जब हमने स्थिति को काबू से बाहर जाते देखा तो उसके अनुरूप निर्णय लेना हमारे लिए अनिवार्य था।
कुलपति ने कहा है कि उन्हें इस बात का अंदाजा है कि बहुत से छात्र अमुवि प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं हालाँकि अमुवि का निर्णय नेकनीयती पर आधारित था। ऐसा अक्सर होता है कि हमारे निर्णय के वांछित परिणाम नहीं आते तथा अनदेखी परिस्थितियाँ उन्हें प्रभावित करती हैं। ऐसे में आलोचना भी अपनी जगह सही होती है। परन्तु, ऐसे निर्णयों से हम सबक लेते हैं तथा पूरी विनम्रता के साथ हम भविष्य में बेहतर करने का प्रयास करते हैं।
पत्र में कुलपति ने कहा है कि हॉस्टल्स को खाली कराने का निर्णय भी देश में व्याप्त परिस्थितियों के दृष्टिगत बड़े सोच-विचार के उपरांत लिया गया था। हमने इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि छात्रों को हॉस्टल खाली करने में कम से कम कठिनाई हो । इसके बाद भी कुछ छात्रों को परेशानी हुई जिसके लिए हमें खेद है। पत्र में कहा गया है कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हमारा अहंकार, घटनाओं के प्रति हमारी जल्दबाजी की प्रतिक्रिया तथा अल्प लाभ के लिए हमारा प्रयास हमारे इस दूरगामी लक्ष्य को प्रभावित न करने पाए कि यह विश्वविद्यालय लोगों की सेवा को समर्पित है।
कुलपति ने कहा कि मैं छात्रों द्वारा किसी कानून के प्रति, यदि वे उसे अनुपयुक्त समझते हैं, राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के जज़्बे का सम्मान करता हूँ। छात्रों को किसी भी विषय पर शांतिपूर्वक तथा लोकतान्त्रिक रूप से अपने विचार रखने का अधिकार है। प्रशासन तथा मैं स्वयं छात्रों के अधिकारों को कुचलने का पक्षधर नहीं हूँ । एक स्वस्थ लोकतंत्र में नागरिकों, विशेषकर युवाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अमुवि का कुलपति होने के नाते गत दो-ढाई वर्षों में मेरे द्वारा लिए गए सभी निर्णय छात्रों तथा विश्विद्यालय के पक्ष में हैं। इसके बावजूद यदि आपकी कुछ समस्याएँ हैं तो आप अवश्य उनके बारे में हमें बताएँ ताकि उनका समाधान किया जा सके।
कुलपति ने कहा है कि हमें अपने उन साथियों को याद रखना चाहिए जो कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं परन्तु यहाँ शिक्षा पाकर अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं। हमें इस कठिन समय में मिलजुल कर काम करना चाहिए ताकि अमुवि वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ियों के सपनों को साकार करने में इसी प्रकार तत्पर रह सके।
कुलपति ने कहा है कि वह छात्रों के हित तथा उनके लाभ के विषय पर उनसे संवाद के लिए सदा तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के नाते मैं अपने कार्यों में उन महान आदर्शों को दृष्टिगत रखता हूँ जिनके हम उत्तराधिकारी हैं। पूरी यूनिवर्सिटी बिरादरी के लिए सर सय्यद अहमद खान का विजन तथा हौसला, 1947 में देश को आज़ादी दिलवाने का आंदोलन जिसमें अमुवि ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, राष्ट्र निर्माण में अमुवि के दुनिया भर में मौजूद पूर्व छात्रों की भागीदारी प्रेरणा आदि हमारे प्रेरणा के कुछ स्रोत हैं।