उच्च क्षमता का पंप बदलने से शुक्रवार सुबह 8 बजे से जलापूर्ति बाधित रही। इनमें जिले के केकड़ी, सरवाड़, अरांई, किशनगढ़ (kishan garh), रूपनगढ़ (rupangarh), भिनाय (bhinai), मसूदा (masuda), बिजयनगर (bijay nagar) और अन्य क्षेत्र शामिल हैं। इन इलाकों में आगामी ४८ घंटे तक जलापूर्ति प्रभावित रहेगी।
मानसून की मेहरबानी से तीन साल बाद बीसलपुर बांध छलक गया है। अजमेर, जयपुर, टोंक जिले की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में 315.50 आरएल मीटर से ज्यादा पानी आ चुका है। इसके चार गेट (4 gates) खुल चुके हैं। फिर भी अजमेर कई इलाकों में 48 घंटे में जलापूर्ति मिल रही है। जबकि अजमेर (ajmer )को अब 24 घंटे (24×7 water supply) में पानी की जरूरत है।
वकील अल्पना शर्मा ने पत्रिका को बताया कि बीसलपुर बांध में पानी आ चुका है। इसके बावजूद जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 48 से 72 घंटे में जलापूर्ति हो रही है। जबकि जयपुर को रोजाना पानी दिया जा रहा है। इसके अलावा जयपुर (jaipur) में मावठा तालाब भी बीसलपुर से भरा जा रहा है। उन्होंने पत्रिका की २४ घंटे में जलापूर्ति संबंधित खबर को भी याचिका के तथ्यों में शामिल किया है। साथ ही राज्य सरकार (state govt) और जलदाय विभाग (phed) को पक्षकार बनाया है।
पूर्व मंत्री ललित भाटी (lalit bhati) ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि बीसलपुर बांध की नींव अजमेर को २४ घंटे में जलापूर्ति के लिए ही पड़ी थी। 1998-2002 की गहलोत सरकार (ASHOK GEHLOT) ने जलदाय विभाग को 75 एमएलडी स्टोरेज टैंक, पाइप लाइन डालने के लिए बजट दिया। बाद की भाजपा-कांग्रेस सरकार ने 25-25 एमएलडी के स्टोरेज टैंक, पाइप लाइन के लिए बजट दिया। सांसद रहते सचिन पायलट (SACHIN PILOT) ने भी पाइप लाइन डालने के लिए पैसा दिया। इतना सब होने के बावजूद जलदाय विभाग 24 घंटे में सप्लाई के संसाधन नहीं विकसित कर सका है।