scriptगौहर की पुलिस रिमांड में कई बड़े खुलासे | This Big Disclosure In Gauhar's Police Remand | Patrika News
अजमेर

गौहर की पुलिस रिमांड में कई बड़े खुलासे

यहां क्रिश्चियन गंज थाने में चार दिन से पुलिस रिमांड पर चल रहे सैयद गौहर हुसैन चिश्ती से पुलिस ने कई राज उगलवाने में कामयाबी हासिल की है। जांच में गौहर के सम्पर्क इस्लामिक संगठन से पाए गए।

अजमेरJul 19, 2022 / 09:51 am

Kamlesh Sharma

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

दरगाह निजामगेट से विवादित नारा लगाने वाले सैयद गौहर हुसैन चिश्ती और उसके सम्पर्क में रहे लोगों की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) ने लम्बी फेहरिस्त बनाई है। जांच में गौहर के सम्पर्क इस्लामिक संगठन से पाए गए। यह संगठन फिलहाल देश में प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन संगठन से बड़ी मात्रा में बैंक खातों में लेनदेन हुआ है, जिससे गौहर और उसके साथी संदेह के दायरे में है।

रिमांड में उगलवाए कई राज
यहां क्रिश्चियन गंज थाने में चार दिन से पुलिस रिमांड पर चल रहे सैयद गौहर हुसैन चिश्ती से पुलिस ने कई राज उगलवाने में कामयाबी हासिल की है। अब तक की पड़ताल में आया कि गौहर जिन दो मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा था उनमें से एक से पन्द्रह गूगल अकाउंट संचालित थे। इन पन्द्रह गूगल अकाउंट को वह किस काम में इस्तेमाल करता था, फिलहाल इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे सका है।

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश
पुलिस की पड़ताल में गौहर ने बताया कि उसके पहचान वाले युवक ने उससे विदेशी मुद्रा क्रिप्टो करेंसी में 2 से 3 लाख रुपए का निवेश करवाया। इसमें उसको नुकसान भी उठाना पड़ा। उसका तर्क है कि विदेशी मुद्रा के निवेश के लिए ही उसके परिचित ने गूगल अकाउंट बनाए थे। लेकिन पुलिस को केवल निवेश के लिए 15 अकाउंट बनाए जाने के तर्क पर यकीन नहीं है।

एफएसएल में होगा खुलासा
पुलिस ने गौहर चिश्ती के जब्त किए दोनों मोबाइल फोन को एफएसएल जांच के लिए भेजा है। एक मोबाइल फोन की रिपोर्ट पुलिस को मिल चुकी है । जबकि दूसरे की रिपोर्ट आना शेष है। जहां पहले मोबाइल फोन की एफएसएल में 15 गूगल अकाउंट सामने आए वहीं दूसरे मोबाइल फोन में भी कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की उम्मीद है।

एनआइए ने बनाए दस्तावेज
पुलिस के साथ-साथ एनआइए ने भी गौहर चिश्ती और उसके सम्पर्क में आए लोगों के पूछताछ नोट तैयार किए हैं। गौहर और उसके आसपास के लोगों से भी गहनता से पड़ताल की जा रही है। एनआईए व पुलिस पड़ताल में गौहर के एक साथी के इस्लामिक संगठन से जुड़ाव के सबूत मिले हैं। उसके पास ना केवल संगठन से जुड़ी पुस्तकें मिली हैं बल्कि बैंक खातों में बड़ा लेनदेन भी हुआ है। हालांकि उससे एटीएस-एसओजी, जिला पुलिस के बाद एनआइए के अधिकरी भी पूछताछ कर चुके हैं।

भड़काऊ नारे लगा कर भीड़ को उकसाने के आरोपियों की जमानत खारिज
मौन जुलूस के दौरान दरगाह क्षेत्र में भड़काऊ नारे लगाने के दौरान मौके पर मौजूद आरोपियों खादिम मोहल्ला निवासी फखर जमाली व होटल संचालक मोइन खान की जमानत अर्जी सोमवार को जिला व सेशन न्यायाधीश मदनलाल भाटी ने खारिज कर दी। अदालत ने माना कि प्राथमिकी में नाम नहीं होने मात्र के आधार पर जमानत का लाभ मिलना इस स्तर पर उचित नहीं है। इससे पूर्व अधीनस्थ अदालत 2 जुलाई को उनकी जमानत अर्जी पहले ही खारिज कर चुकी है।

लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि 19 जून को सिपाही जयनारायण ने मामला दर्ज कराया। इसमें बताया कि 17 जून को वह निजाम गेट पर तैनात था। उसी समय गौहर चिश्ती व अन्य खादिमों ने मौन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन कर लाउड स्पीकर रिक्शे में लगा कर भाषण बाजी शुरू कर दी। उपअधीक्षक ईस्माल खां ने समझाइश की। इसे दरकिनार करते हुए आपत्तिजनक नारेबाजी कर भीड़ को उकसाया व प्रशासन की अनुमति का उल्लंघन किया। इस पर आरोपियों के खिलाफ धारा 117, 188, 504, 506 व 34 के तहत मामला दर्ज कर जांच की गई। जांच में आरोपियों पर धारा 115 सपठित धारा 302 , 117 143, 149, 188, 504, 506 प्रमाणित मानी गई।

अदालत ने फैसले में लिखा कि आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज है। आरोपियों की मुख्य अभियुक्त गौहर चिश्ती द्वारा हत्या व आजीवन कारावास के दुष्प्रेरण से दंडनीय जुर्म कारित करने के संबंध में भूमिका रही है। केवल प्रथम सूचना में नाम नहीं होने के आधार पर उन्हें जमानत का लाभ नहीं मिल सकता। आगामी जांच में जुर्म जोड़ा भी जा सकता है। जिसने अपराध नहीं किया, उसका नाम हटाया भी जा सकता है। मामले की जांच एनआइए कर रही है। बचाव पक्ष ने अदालत से आरोपी मोइन खान के पुत्र के 24 जुलाई को प्रस्तावित निकाह में शामिल होने के आधार पर जमानत का लाभ देने के लिए प्रार्थना की लेकिन अदालत ने इसे भी नामंजूर कर दिया।

आमने- सामने बैठाकर अनुसंधान जरुरी
लोक अभियोजक पाराशर का बहस के दौरान यह भी तर्क रहा कि 21 जून को अमरावती व 28 जून को उदयपुर में बर्बर हत्या हुई। इन हत्या के आरोपियों के संपर्क भी यहां के अपराध का दुष्प्रेरण करने वाले आरोपियों से जुड़े होने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा जांच एजेंसियों ने इस स्तर पर ज्ञात किया है। इसलिए प्रकरण के आरोपियों को आमने- सामने बैठाकर अनुसंधान करना जरुरी है।

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