किसी की भरी फीस तो किसी को दिलाई ड्रेस, अब स्टूडेंट मंत्री, आईपीएस और टीचर बनकर लहरा रहे कामयाबी का परचम
Teachers’ Day 2023: कॉलेज शिक्षक से राजस्थान विवि और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की कुलपति के ओहदे तक पहुंची प्रो. कांता आहूजा किसी पहचान की मोहताज नहीं है। जीवन में 66 साल से ज्यादा अर्थशास्त्र विषय पढ़ा चुकीं शिक्षिका के विद्यार्थी मंत्री, मुख्य सचिव, कुलपति, आईपीएस और शिक्षक बनकर कामयाबी का परचम लहरा रहे हैं।
अजमेर. Teachers’ Day 2023: कॉलेज शिक्षक से राजस्थान विवि और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की कुलपति के ओहदे तक पहुंची प्रो. कांता आहूजा किसी पहचान की मोहताज नहीं है। जीवन में 66 साल से ज्यादा अर्थशास्त्र विषय पढ़ा चुकीं शिक्षिका के विद्यार्थी मंत्री, मुख्य सचिव, कुलपति, आईपीएस और शिक्षक बनकर कामयाबी का परचम लहरा रहे हैं। कॉपी- किताबें, फीस, ड्रेस देकर सैकड़ों विद्यार्थियों की सहायता की मगर यह उन्हें अब याद नहीं है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की पढ़ाई और दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में अर्थशास्त्र की शिक्षक रहीं प्रो. आहूजा अब उम्र के 88 वें पड़ाव में हैं। वे जिंदगी में आज भी शिक्षिका हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ योजना आयोग में कामकाज कर चुकीं प्रो. आहूजा की छवि मददगार के रूप में भी विख्यात है। वे मौजूदा वक्त अमरीका में रहते हुए भी शिक्षा जगत में सक्रिय हैं।
खाने-रहने का भी किया प्रबंध राज्य सूचना आयुक्त देवेंद्र भूषण गुप्ता, आईएएस रहे खेमराज चौधरी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कुलपति रहे प्रदीप भार्गव, गुजरात कैडर के आईएएस अशोक सक्सेना जैसे कई विद्यार्थी साधारण परिवार से थे। कई तो ढाणी- गांव के सरकारी स्कूल से यूनिवर्सिटी तक संघर्ष करते हुए पहुंचे थे। प्रो. कांता ने विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय में नि:शुल्क पढ़ाने, उनकी फीस भरने, किताबों की व्यवस्था के अलावा रहने-खाने का प्रबंध तक किया।
कामकाजी महिला के बच्चों को पढ़ाया प्रो. आहूजा के घर पर कामकाज करने वाली गरीब महिला के कई बच्चे थे। वह बमुश्किल परिवार का गुजारा कर पाती थी। उन्होंने उसकी एक लड़की और लड़के को नि:शुल्क पढ़ाया। घर में रहने-खाने का प्रबंध, पढऩे के लिए किताबें दीं। अब दोनों आत्मनिर्भर हैं। एक गरीब विद्यार्थी के पिता को ऑटो खरीद कर दिया।
दृष्टिबाधित लोगों को रोजगार एमडीएस विवि में कुलपति रहते उन्हें डॉ. वांचू ने दृष्टिबाधित लोगों को रोजगार का आग्रह किया। उन्होंने तत्काल सरकार से विशेष मंजूरी लेकर तकनीकी रूप से दक्ष दृष्टिबाधित के लिए नौकरी का मार्ग प्रशस्त किया।
कंप्यूटरीकरण-ओएमआर की शुरुआत प्रो. आहूजा ने शिक्षण और जीवन में नवाचार को हमेशा बढ़ावा दिया। राजस्थान विवि की 1995-96 में डांवाडोल वित्तीय स्थिति को सुधारा। मदस विवि में ओएमआर शीट पर पीटीईटी की परीक्षा कराने परीक्षात्मक व्यवस्था में कंप्यूटराइजेशन को उन्होंने बढ़ावा दिया। उनके पढ़ाए विद्यार्थी भी अपने-अपने क्षेत्रों में गुरू की सीख को आगे बढ़ा रहे हैं।