पैदल रास्ते बदहाल
किले में प्रवेश के लिए बड़े पीर होते हुए पैदल रास्ता बदहाल है। कई जगह कच्चा तो कई जगह सीढि़यां टूटी हैं, दुकानदारों ने रास्ते पर अतिक्रमण कर लिया है। दूसरा रास्ता अंदरकोट के तालाब होते हुए जाता है। यह लक्ष्मी पोल होते हुए किले तक आवाजाही का पुराना रास्ता है, जो जर्जर पड़ा है। कई जगह दुकानदारों के कब्जे हैं। इमारतों के पत्थर काले हो गए हैं।
पुरानी बावडि़यों के हाल खराब
पानी के लिए तीन बावडि़यां बनाई गई थीं। इनकी वास्तुकला देखने लायक है। एक सूखी बावडी़ में बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। दूसरी बावडि़याें में गंदा पानी और कचरा भरा है। इसके पास इमाम बारगाह के निकट बनी तीसरी बावड़ी सबसे बदहाल है। इसका पानी दूषित और कचरा भरा हुआ है।
खुर्द-बुर्द हो रहा परकोटा
परकोटा जगह-जगह से खुर्द-बुर्द हो रहा है। दीवारें दरक रही हैं। बरसात में तो कई बार दीवारों के हिस्से ढह चुके हैं। किले में बना एक बुर्ज तो ढहने के कगार पर है। करीब दस साल पहले दीवारों की मरम्मत की गई थी, लेकिन काफी कामकाज होना बाकी है।
जहां देखो वहां कचरे का ढेर
मुख्य चौक, बुर्ज की दीवारों और गली-मोहल्लों में कचरा बेतरतीब ढंग से फेंका दिखता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना बोर्ड लगा रखा है, लेकिन सफाई की पर्यटकों, जायरीन और लोगों को ज्यादा परवाह नहीं है। स्मार्ट कचरा पात्र अथवा कचरा संग्रहण के लिए वाहन पहुंचना मुश्किल है।
यूं निखर सकता है किला क्षेत्र…पर्यटकों के लिए रोप-वे की जरूरत
दरगाह स्थित अढाई दिन के झोंपड़े अथवा पृथ्वीराज चौहान स्मारक से तारागढ़ पहाड़ी तक जायरीन और पर्यटकों के लिए राेप-वे की जरूरत है। इससे अरावली की खूबसूरती का लुत्फ उठाया जा सकता है। याेजना जिला और निगम प्रशासन के पाले में है।
बन सकता है हेरिटेज टूरिज्म सेंटर
बावडि़यों, किले की दीवारों, प्रवेश-निकास द्वार का जीर्णोद्धार कराया जाए तो हैरिटेज टूरिज्म सेंटर बन सकता है। पर्यटकों को भी फोटोग्राफी, सेल्फी लेने और इन्हें देखने का अवसर मिलेगा। भूजल और इतिहास के रिसर्च स्कॉलर्स नए शोध कर सकते हैं।
बन सकता है शानदार होटल
ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी का रेलवे भवन बदहाल पड़ा है। रेलवे और जिला प्रशासन मरम्मत कराएं तो शानदार थ्री स्टार होटल बन सकता है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम तो बीते अक्टूबर में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से भवन को लीज पर देने की मांग कर चुका है। राज्य में कई जगह किलों पर रेस्टोरेंट बने हुए भी हैं, जहां पर्यटकों की आवाजाही काफी है।
फैक्ट फाइल
1400 साल से भी पुराना है तारागढ़
2855 फीट ऊंची अरावली पहाड़ी पर बना है किला50 से ज्यादा युद्धों का रहा है गवाह
– राजपुताना-फारसी शैली में हुए हैं निर्माण-3 प्रवेश द्वार हैं किले में आवाजाही के लिए
-10 हजार वर्ग मीटर इलाके में फैली हैं दीवारें-5 हजार लोगों की बस्ती है तारागढ़ पर
-1 दरगाह हजरत मीरां दातार की1832 में नसीराबाद के सैनिकों के लिए बनाया सेनेटोरियम
1947 के बाद कई क्वार्टर दरगाह कमेटी को दिए 99 साल की लीज पर1983-84 में पहाड़ी काटकर बनाया गया था रोड
(जैसा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. टी. के. माथुर ने बताया)