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अजमेर

स्मार्ट सिटी: लोक निर्माण,वित्तीय एवं लेखा नियम की उड़ा रहे धज्जियां

करोड़ों के प्रोजेक्टों में लागू कर दी डिजिटल एमबी
न नियमों का पता और न अधिनियमों का
साइट के बजाय दफ्तर में ही भरी जा रही है एमबी

अजमेरMay 12, 2021 / 09:20 pm

bhupendra singh

भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. अधिकारियों की आंखों धूल झोंक कर अजमेर स्मार्ट सिटी ajmer smart city कम्पनी के अभियंता न केवल करोड़ों के कामों में लीपापोती कर रहें है बल्कि कागजों में भी जमकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। यही नजारा स्मार्ट सिटी की लेखा-जोखा रखने वाली माप पुस्तिकाओं (मेजरमेंट बुक एमबी) में देखने में नजर आया है। स्मार्ट सिटी के अभियंताओं ने डिजिटल एमबी का नया शगूफा निकाला है जो किसी अन्य विभाग में लागू ही नहीं है और न ही वित्त विभाग से मंजूर है। लोक निर्माण, वित्तीय लेखा नियमों को दरकिनार कर Public Works, Financial and Accounting Rules स्मार्ट सिटी के अभियंता कम्प्यूटर पर एक्सेल सीट के जरिए डिजिटल एमबी भर रहे हैं। बड़े-बड़े प्रोजेक्टों के बिल भी इसी आधार पर तैयार हो रहे हैं। एक्सेल सीटों में तैयार डिजिटल एमबी की प्रोजेक्टों की मापो को आसानी से को बदला जा सकता है। जबकि एमबी में छेड़छाड़ वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। स्मार्ट सिटी का ना तो खुद का कोई सरवर है ना ही सोफ्टवेयर। एक्सल शीट में तैयार एमबी प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद किसकी जिम्मेदारी पर सुरक्षित रहेंगी अभियंता इस मामले में बगलें झांक रहे हैं।
पीडब्ल्यूडी, निगम, एडीए सहित किसी भी विभाग में लागू नहीं

स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों पर आरयूआईडीपी के नियम लागू हैं लेकिन वहां भी डिजिटल एमबी का प्रावधान नहीं है। स्मार्ट सिटी में लागू की गई डिजिटल एमबी जो एक्सेल सीटें पर बनाई जा रही है यदि प्रभावशाली है तो उसे एडीए और नगर निगम और एडीए में में लागू क्यों नहीं किया जा रहा। जबकि स्मार्ट सिटी के अधिकारी ही एडीए व नगर निगम विभागाध्यक्ष भी है। पीडब्ल्यूडी, अजमेर डिस्कॉम,सिंचाई विभाग, पीएचईडी, जिला परिषद सहित सभी इंजीनियरिंग विभागों में वर्तमान में वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत जिल्द व पेन से भरी जारी वाली एमबी ही चल रही है न कि डिजिटल एमबी।
नियमों में स्याही से ही भरने का प्रावधान

लोक निर्माण वित्तीय एवं लेखा नियम के तहत माप पुस्तिका (एमबी) स्याही से ही भरी जाती है और नाप लेने वाला अधिकारी उसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होता है। एमबी के समस्त पेज मशीन द्वारा संख्याकित भी किए जाते हैं ताकि पेजों में छेड़छाड़ न की जा सके। साइट पर होने वाले काम, लगाए जाने वाले मेटेरियरल/ सामान की गणना व माप मौके पर ही ठेकेदार की मौजूदगी में एमबी में दर्ज की जाती है। जबकि स्मार्ट सिटी के अभियंता नाप लेकर कार्यालय में सिलेक्शन सीटों में एंट्री दर्ज कर डिजिटल एमबी बना रहे हैं जिससे गलतियां काटछांट और मिलीभगत की आशंका और भी बढ़ जाती है।
पूर्व में एमबी से हो रहा था काम

स्मार्ट सिटी के पूर्व में चल रहे कार्यों में अभियंताओं द्वारा माप पुस्तिकाएं ही काम में ली जा रही थी जिनको मौके पर पेन ही भरा जाता था और संबंधित अभियंता मौके पर जिसकी जांच भी करता था। कई बार तो नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी के अभियंता ने भी माप पुस्तिकाओं की जांच की गई थीं।
डिजिटल एमबी कोर्ट में मान्य नहीं

करोड़ों रूपए के प्रोजेक्टों का लेखा-जोखा रखनी वाली माप पुस्तिका (एमबी) एक विश्वसनीय और वित्तीय दस्तावेज है। विवाद व गबन के मामलों में इसे साक्ष्य के रूप में न्यायालय में भी रखना पड़ सकता है। न्यायालय में केवल जिल्द व स्याही से लिखी गई एमबी ही मान्य है।
न सर्वर और एक्ट का ही पता

स्मार्ट सिटी में अपनी मनमर्जी कर रहे अभियंता डिजिटल एमबी पर विवाद व गबन आदि की स्थिति में सिविल एक्ट अथवा आईटी किस एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाएंगे इसकी भी उन्हें जानकारी नहीं है। कम्प्यूटर से तैयार होने पर इस पर सिविल एक्ट नहीं लग सकता और बिना सर्वर के आईडी के इस पर आईटी एक्ट भी नहीं लगा सकते।
इनका कहना है

एमबी के लिए अलग-अलग पैटर्न अपना सकते है। सीईओ से मंजूर करवाई है। डिजिटल एमबी पर कौन सा एक्ट लगेगा मुझे पता नहीं नही है। सर्वर हमारे पास नहीं हैं।
अविनाश शर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता,स्मार्ट सिटीहम पर राज्य सरकार के सभी नियम लागू हैं।

नियमों की पालना करना इंजीनियरों का काम है, एमबी तो इंजीनियर ही भरते है। हमारा काम बिल वैरिफाई करना है।सुनील वाजपेयी, अकाउंटेंट व ऑडिटर, स्मार्ट सिटी

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