अजमेर जिला मुख्य रूप से मिनरल, मार्बल, पोल्ट्री, लोहा, कपड़ा और अन्य छोटे उद्योगों के लिए जाना जाता है। जिलेभर में इन उद्योगों में करोड़ों का टर्नओवर रहता है। जानकारों की मानें तो इस झटके से उबरने में अजमेर के उद्योग-धंधों को लंबा वक्त लगेगा। इस स्थिति में व्यापारियों को मंदी के साथ ही व्यवसाय में जबर्दस्त घाटे की चिंता सताने लगी है। दूसरे राज्यों के मजूदर भी जल्द नहीं लौटेंगे। बैंकिंग सेक्टर में भी निराशा है। लॉकडाउन जैसी स्थिति को देखते हुए अब लोगों में घर में नगदी रखने की आदत बढ़ सकती है।
निर्माण क्षेत्र पर असर शहर व आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सरकारी व निजी फ्लेट्स बनाए जा रहे हैं। इनमें लगे अधिकतर निर्माण श्रमिक मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश बिहार व बंगाल के हैं। लॉकडाउन के चलते मजदूर अपने राज्यों के लिए पलायन कर चुके हैं। इससे शहर के बाहर व भीतरी क्षेत्रों में हो रहे निर्माण पर भी असर पड़ेगा। सीमेंट सहित अन्य निर्माण सामग्री का उत्पादन ठप है, इससे भी निर्माण क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
महेश मनवानी, बिल्डर-प्रोपर्टी डीलर चौपट हुआ पोल्ट्री व्यवसाय पोल्ट्री व्यवसाय बुरी स्थिति में है। अफवाह के कारण लेयर/बॉयलर व अंडे न्यूनतम दामों पर हैं। चूजे बिक नहीं रहे हैं। सैकड़ों फार्म बंद हो गए हैं। फार्म में पल रही मुर्गियों के लिए दाना-पानी पहुंचाना ही मुश्किल हो रहा है। सरकार को पोल्ट्री व्यवसाइयों के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा करना चाहिए।
फिरोज खान, पोल्ट्री व्यवसाई लेबर कब लौटेगी कह नहीं सकते फैक्ट्री व गोदाम नहीं जा पा रहे हैं। जो लेबर चली गई वह कब लौटेगी कह नहीं सकते। बाजार में डिमांड आने में 1-2 महीने लग सकते हैं। इकॉनोमी रोटेट नहीं हो पाएगी। व्यवसाय को संभलने में 6 महीने भी लग सकते हैं।
तरुण शर्मा डिस्पोजेबल सामग्री व्यवसाई
लॉकडाउन से प्रोडक्शन ठप है। पावरलूम व डिस्पोजल तो पूरी तरह से बंद हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद लेबर व माल की दिक्कत आएगी। व्यवस्था पटरी पर आने में काफी समय लगेगा।
कमल किशोर मंूदड़ा उपाध्यक्ष, गेगल औद्योगिक एसोसिएशन read more:
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