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दत्तक गए दो ‘चिरागों’ की दुनिया में फिर से अंधकार… परिवारों ने बिसराया मझधार में नहीं छोड़ सकते. . .
समिति अध्यक्ष अंजली शर्मा व सदस्यों ने प्रकरण में माता-पिता की ओर से बच्चों को फिर से समर्पित करने की मंशा सिरे से खारिज कर दी। उनका तर्क है कि दोनों दत्तक बच्चे किशोरावस्था में हैं। उनके भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाएगा। बच्चों के परिजन से समिति सदस्य बातचीत कर समस्या को समझ कर समाधान का प्रयास करेंगे। गौरतलब है कि करीब 17 साल पूर्व शहर के एक व्यापारी व 15 साल पहले पुलिस अधिकारी ने कोटा के दत्तक ग्रहण केन्द्र से बालक-बालिका को गोद लिया था।
किशोरावस्था में समझाइश की जरूरत
सीडब्ल्यूसी के सदस्य एड.अरविन्द कुमार मीणा का कहना है कि दोनों बच्चे किशोरावस्था में हैं। इस उम्र में बच्चों को केयर की ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन अनाथालय से लाने का एहसास दिलवा कर अलग करना गलत होगा। रिश्तों में तालमेल की गुंजाइश देखी जाएगी। माता-पिता को भी जिम्मेदारी समझनी होगी। ये भी पढ़ें…
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प्रकरण में गोद लिए बालक-बालिका अपने दत्तक माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। बालिका गृह पहुंची पुलिस अधिकारी की ‘पुत्री’ ने माता-पिता से बात करने व साथ रहने की मंशा जाहिर की है। वहीं व्यापारी के दत्तक पुत्र का कहना है कि परिवार में उसे लेकर झगड़ा ना हो ऐसे में उसने पिता की ओर से बनाई व्यवस्था को स्वीकार कर लिया।
इनका कहना है…
दत्तक बच्चे के समर्पित(अभ्यर्पित) किए जाने के केस पर पड़ताल की जा रही है। दत्तक बच्चों के प्रति माता-पिता की भी जिम्मेदारी है। उनसे काउन्सलिंग की जाएगी। किशोरावस्था में छोड़ना सही निर्णय नहीं होगा। भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय किया जाएगा।-अंजली शर्मा, अध्यक्ष जिला बाल कल्याण समिति, अजमेर