scriptReligious ceremony: शुरू हुई मोहर्रम की खास रस्में, चढ़ेगी ताजिए पर मेहन्दी | Muharram Religious ceremony start in ajmer | Patrika News
अजमेर

Religious ceremony: शुरू हुई मोहर्रम की खास रस्में, चढ़ेगी ताजिए पर मेहन्दी

www.patrika.com/rajasthan-news

अजमेरSep 14, 2018 / 04:41 am

raktim tiwari

muharram ceremony

muharram ceremony

अजमेर.

चांद दिखने के साथ हजरत इमाम हुसैन की याद में इमाम बारगाह लंगर खाना में मोहर्रम के रसूमात और बयान शहादत शुरू हो गई है। पांच मोहर्रम यानि 16 सितम्बर को चांदी का ताजिया दरगाह के महफिल खाने में रखा जाएगा।
धार्मिक रस्मों के संयोजक मुजफ्फर भारती ने बताया कि इमाम बारगाह लंगर खाना में चौकी धुलने की रस्म के साथ ही उस्ताद अब्दुल खालिक और उनके साथियों ने मर्सिया ख्वानी और बयान ए शहादत प्रारंभ किया। पांच मोहर्रम यानि 16 सितंबर को जौहर की नमाज के बाद चांदी का ताजिया महफिल खाने में रखा जाएगा। जायरीन इसकी जियारत कर सकेंगे। मोहर्रम की 7 तारीख यानि 18 सितंबर को महफिल खाने की सीढिय़ों पर रखा जाएगा। यहां चांदी के ताजिए पर मेहंदी की रस्म अदा की जाएगी।
इमाम बारगाह लंगर खाना से सात मोहर्रम को जुलूस प्रारंभ होगा। मोहल्ला सिपाहीयान में ताजिया रखा जाएगा। यहां अकीदतमंद मेहंदी की रस्म अदा करेंगे। भारती ने बताया कि मर्सिया ख्वानी और बयान शहादत का सिलसिला योमे आशूरा यानि 21 सितंबर तक लगातार चलेगा।
योमे आशूरा पर चांदी का ताजिया और डोला रूपी ताजिए की सवारी निकाली जाएगी। सवारी लंगर खाना इमाम बारगाह से प्रारंभ होकर दरगाह बाजार, अंदरकोट होते हुए बड़बाव पहुंचेगी। यहां सलातो सलाम पढऩे के बाद ताजिए को सैराब किया जाएगा। सवारी के दौरान इमरान अरमानी की पार्टी मर्सिया ख्वानी पेश करेगी।
जब तक नहीं छोडेंगे गंदे विचार, माफी मांगने का नहीं कोई अर्थ

जीवन में द्वेष, ईष्र्या जैसी दुष्प्रवृतियों को छोडकऱ परस्पर क्षमा याचना करनी चाहिए। यह बात साध्वी मुक्ति प्रभा ने पर्युषण महापर्व के दौरान कही। उन्होंने कहा कि संावत्सरिक पर्व का अर्थ क्षमायाचना है। इस दिन हमारे मन में किसी के प्रति वैर, द्वेष, ईष्र्या, क्रोध नहीं होना चाहिए। इन निरर्थक प्रवृत्तियों को छोडकऱ ही परस्पर क्षमा याचना करनी चाहिए। आत्मा की शांति एवं उज्जवलता के लिए कषायों का उपशमन करना जरूरी है। क्रोध-मान, माया, लोभ अग्नि के समान है। पर्युषण पर्व शान्ति का पर्व है। यह शीतलता और समानता का परिचायक है।
साध्वी निरंजना ने कहा कि मन में किसी के प्रति गांठ रखकर क्षमायाचना करना सार्थक नहीं है। लकड़ी में अगर गांठ हो तो उसका फर्नीचर नहीं बनता। शरीर में गंाठ हो तो हम तुरंत उसका निदान करवाते हैं। उसी तरह चौरासी लाख योनी से क्षमा याचना होती है।

Hindi News / Ajmer / Religious ceremony: शुरू हुई मोहर्रम की खास रस्में, चढ़ेगी ताजिए पर मेहन्दी

ट्रेंडिंग वीडियो