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अजमेर

प्रोस्पेक्टस में सिर्फ फोटो, गायब हुआ वीसी का मैसेज

हाईकोर्ट और सरकार ने उन्हें कुलपति पद से हटाया नहीं है। शैक्षिक प्रधान होने के नाते उनका सिर्फ फोटो दिया गया है।

अजमेरJul 10, 2019 / 10:00 am

raktim tiwari

mds university vice chancellor

mds university vice chancellor

अजमेर

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की सत्र 2019-20 की प्रवेश विवरणिका से इस बार कुलपति का संदेश नहीं दिया गया है। ऐसा पहली बार है, जबकि विवरिणका में सिर्फ कुलपति का फोटो प्रकाशित हुआ है। राजस्थान हाईकोर्ट की रोक के चलते विश्वविद्यालय को ऐसा करना पड़ा है।
विश्वविद्यालय में इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण विज्ञान, कम्प्यूटर, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, कॉमर्स, पत्रकारिता एवं जनसंचार, पुस्तकालय विज्ञान, योग, खाद्य एवं पोषण, विधि, हिन्दी और अन्य कोर्स संचालित है। इनकी दाखिला प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विश्वविद्यालय ने वेबसाइट पर विद्यार्थियों के लिए विवरणिका (प्रोस्पेक्टस) भी अपलोड की है। इसमें विश्वविद्यालय में संचालित कोर्स, छात्रवृत्ति, शैक्षिक योजनाओं-कार्यक्रमों, कुलपति-शिक्षकों, अधिकारियों और संसाधनों का ब्यौरा शामिल है।
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सिर्फ कुलपति के फोटो….
विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष विवरणिका के भीतरी पृष्ठों पर सबसे पहले कुलाधिपति की फोटो मुद्रित करता है। इसके बाद कुलपति का फोटो और संदेश प्रकाशित किया जाता है। लेकिन इस बार हालात कुछ जुदा हैं। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर 2018 से रोक लगाई हुई है। हाईकोर्ट और सरकार ने उन्हें कुलपति पद से हटाया नहीं है। शैक्षिक प्रधान होने के नाते उनका सिर्फ फोटो दिया गया है। जबकि पिछले वर्षों में कुलपति रहे प्रो. भगीरथ सिंह, प्रो. रूपसिंह बारेठ, प्रो. कैलाश सोडाणी और प्रो. विजय श्रीमाली के फोटो और संदेश भी प्रकाशित होते रहे हैं।
एमफिल कोर्स नहीं फिर भी जिक्र….
विश्वविद्यालय में 10 वर्ष पूर्व सात विषयों में एमफिल पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इनमें एम.फिल एन्वायरमेंट मैनेजमेंट, फूड एन्ड न्यूट्रिशियन, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, एकाउन्टेंसी एन्ड फाइनेंशियल मैनेजमेंट, बिजनेस स्टेटिक्ट्सि और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय शामिल हैं। प्रत्येक विषय में 15-15 सीट का प्रावधान है। इसमें दाखिलों के लिए प्रवेश योग्यता परीक्षा (एईटी) तय की। बीते पांच साल में यह परीक्षा सिर्फ एक बार हुई है। इसके बाद से ना परीक्षा ना पाठ्यक्रमों दाखिले हुए हैं। .एमफिल पाठ्यक्रमों में नियमित प्रवेश और परीक्षा नहीं होने के बावजूद विश्वविद्यालय ने प्रोस्पेक्ट्स में इसका जिक्र किया है।

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