ब्यावर के साकेत नगर में रहने वाले उज्जव हिंदी साहित्य से एमए हैं। उसके बाद वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के साथ ही परिवार के कामों में हाथ बटाते हैं। केबीसी के प्ले अलोंग सेक्शन में लगभग हर दिन पूछे जाने वाले सवालों के वे लगातार फोन के जरिए जवाब दे रहे थे। पिछले दिनों उन्हें पता चला कि वे देश भर के 250 प्रतियोगियों में शामिल हो गए हैं। इसके बाद उनके पास केबीसी से फोन आया और उस फोन कॉल ने उज्जवल की किस्मत बदल दी।
उज्जवल का कहना था कि प्रतियोगी परीक्षाओं खास तौर पर यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान हर दिन कई घंटे लगातार पढ़ाई करते रहे हैं। ऐसे में लगभग सभी सवालों के जवाब उनको पता थे। पचास लाख जीतने के बाद आगे के सवाल कुछ रिस्की लगे तो उन्होनें खेल को छोड़ना ही उचित समझा। उज्जवल कैम्पेनियन के तौर पर अपनी दादी नौरती देवी को लेकर मुंबई पहुंचे थे।