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प्रोफेसर साहब पर मंडराया सस्पेंशन का खतरा, गवर्नर हाउस ने मांगी ये रिपोर्ट

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अजमेरOct 16, 2018 / 07:52 pm

raktim tiwari

governor house call report

governor house call report

अजमेर.

रिश्वत लेते पकड़े गए मैनेजमेंट विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश अग्रवाल का मामला राजभवन तक पहुंच गया है। राजभवन ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई सहित पूरे मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रो. सतीश अग्रवाल को सोमवार को एक शोधार्थी से 50 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। ब्यूरो की टीम ने इनके बैंक खाते, लॉकर और घर की तलाशी भी ली। मंगलवार को राजभवन के उच्चाधिकारियों ने विश्वविद्यालयत से अग्रवाल के मामले में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मंगवाई। वित्त नियंत्रक एवं कार्यवाहक कुलसचिव भागीरथ सोनी ने राजभवन सहित उच्च शिक्षा विभाग को पूरे मामले की रिपोर्ट भेजी।
…तो राजभवन करेगा अग्रवाल को निलंबित?

प्रो. अग्रवाल को चार्जशीट और निलंबित करने पर तकनीकी अड़चन पैदा हो गई। दरअसल राजस्थान हाईकोर्ट ने कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज करने पर 26 अक्टूबर तक पर रोक लगाई हुई है। नियमानुसार विश्वविद्याल में कुलपति ही शैक्षिक प्रधान होते हैं। वे ही शिक्षकों की नियुक्ति, निलंबन, कारण बताओ नोटिस, टाइम टेबल की अनुपालना कराने और चार्जशीट देने के लिए अधिकृत हैं। कुलपति प्रो. सिंह के कामकाज पर लगी पाबंदी के चलते निगाहें राजभवन पर टिकी हैं। संभवत: सरकार और उच्च शिक्षा विभाग से परामर्श के बाद राजभवन प्रो. अग्रवाल को निलंबित कर सकता है।
शिकायतों को हल्का लेते रहे कुलपति

अग्रवाल की नियुक्ति वर्ष 1993-94 में हुई थी। उन्होंने कथित तौर पर खुद को आवेदन के वक्त पीएचडी उपाधि धारक होना बताया था। उनका विश्वविद्यालय सेवा में चयन हो गया। लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो. कांता आहूजा द्वारा गठित आंतरिक जांच में उन्हें वर्ष 1997 में पीएचडी की उपाधि मिलना सामने आया। इसके बाद आए कुलपतियों के समक्ष यह मामला गया पर किसी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। इसी तरह अग्रवाल के खिलाफ मैनेजमेंट विषय की किताबों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी, कथित तौर पर विद्यार्थियों से वसूली, एलएलएम कक्षाओं से जुड़ी शिकायतें की गई। लेकिन कुलपति उन्हें अभयदान देते चले गए।
केंद्राधीक्षक के रूप में भी कमाई

विश्वविद्यालय में होने वाली सेमेस्टर परीक्षाओं का संचालन भारत विद्या अध्ययन संकुल में होता है। इसके केंद्राधीक्षक प्रो. अग्रवाल थे। नियमानुसार केंद्राधीक्षक के रूप में प्रतिदिन दिन घंटे की एक पारी के लिए 300, तीन घंटे की दो पारी के लिए 500 और तीन घंटे की तीन पारी के लिए 700 रुपए पारिश्रमिक दिया जाता है। इस लिहाजा से प्रो. अग्रवाल की केंद्राधीक्षक रूप में भी कमाई थी।
छह शोधार्थी कर रहे पीएचडी

प्रो. अग्रवाल के निर्देशन में मौजूद वक्त छह शोधार्थी पीएचडी कर रहे हैं। अग्रवाल को भविष्य में निलंबित किए जाने पर विश्वविद्यालय को शोधार्थियों को नए पीएचडी गाइड का आवंटन करना होगा। इसके लिए भी कुलपति ही अधिकृत हैं। नियमानुसार शोध विभाग मामले को कुलपति के समक्ष भेजेगा। वहां उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर शोधार्थियों को नए गाइड का आवंटन होगा।
डीन पीजी का पदभार भी…

प्रो. अग्रवाल के पास डीन स्नातकोत्तर (पी.जी.) का पदभार भी है। यह पद स्नातकोत्तर स्तर के विषयों के पाठ्यक्रम, नए कोर्स की शुरुआत अथवा अन्य तकनीकी पहलुओं के संचालन के लिए होता है। अग्रवाल के मामले में कार्रवाई होने पर विश्वविद्यालय को नया डीन पीजी भी बनाना होगा।

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