राज्यपाल कल्याण सिंह ने दो वर्ष पूर्व शिक्षकों-कर्मचारियों की बायोमेट्रिक मशीन से अटेंडेंस की शुरुआत कराई थी। इसके बाद उन्होंने उच्च, तकनीकी, मेडिकल, संस्कृत, आयुर्वेद, विधि अन्य शिक्षण संस्थानों, कॉलेज-विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रारंभ करने के निर्देश दिए। तत्कालीलन भाजप सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी भी बनाई। इसमें एम. एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. पी. शर्मा, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (तब जोधपुर विवि के कुलपति) और अन्य शामिल थे।
तकनीकी पहलुओं पर चर्चा
विश्वविद्यालय सत्र 2019-20 में कक्षाओं में विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रारंभ करना चाहता है। प्रशासन इसका तकनीकी परीक्षण में जुटा है। अटेंडेंस के तकनीकी पहलुओं और खर्चों पर विचार किया जा रहा है। इनमें रिकॉर्ड के वार्षिक रख-रखाव, कंप्यूटर प्रोग्राम और अन्य बिन्दु शामिल हैं। मालूम हो कि उच्च शिक्षा विभाग ने भरतपुर के एक कॉलेज में इसकी प्रायोगिक तौर पर शुरू किया था। लेकिन छात्रसंघ पदाधिकारियों और विद्यार्थियों की नाराजगी के चलते विश्वविद्यालयों और कॉलेज में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है।