अजमेर में दुर्लभ वस्तुओं के संग्रहकर्ता बी.एल.सामरा का दावा है कि उनके पास 1914 ईस्वी में अरबी-फारसी में लिखी गीता मौजूद है। इसमें गीता के सभी श्लोकों को संस्कृत के साथ साथ अरबी-फारसी में अनुवाद किया गया है। साथ ही सौरचक्र, राशि चक्र तथा ब्रह्मांड आदि को बड़े चार्ट में दर्शाया गया है। सामरा के अनुसार करीब 50 साल पहले उन्होंने एक कबाड़ी से यह गीता रद्दी के मोल ली थी। तब से इसे सेहज कर रख रखा है। इसके अलावा भी उनके पास कई तरह की गीता, कुरान, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब आदि रखे हैं। जानकारों के अनुसार गीता का अरबी-फारसी में अनुवाद बहादुर पंडित जानकी नाथ (मदन दहलवी) ने किया। अमीन बाबू राव के सहयोग से इसका प्रकाशन मथुरा की एक प्रेस में हुआ है।
सर्वपंथ समभाव का संदेश लेकर गुजरात से पैदल रवाना हुआ जायरीन का दल शनिवार को दरगाह पहुंचा। दल में सभी धर्म के जायरीन शामिल थे। हबीब भाई ने बताया कि अहमदाबाद के निकट रामोल गांव से दल रवाना हुआ था। वे ५५० किलोमीटर पैदल यात्रा कर गरीब नवाज की दरगाह आए हैं। मुल्क में अमन-चैन, भाईचारा और सौहार्द की दुआ लेकर वे पिछले १४ साल से अजमेर आ रहे हैं।