दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की सदियों पुरानी परम्परा है। भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के परिजन बरसों से झंडा लेकर अजमेर पहुंचते हैं। यह झंडा करीब 70 साल से अजमेर में ही तैयार किया जा रहा है।
छठी को देते हैं हरा-गुलाबी कपड़ा
पुष्कर रोड अद्वैत आश्रम स्थित दुकान संचालक ओमप्रकाश वर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष उर्स से पहले छठी शरीफ को ढाई-ढाई मीटर का हरा और गुलाबी कपड़ा दुकान पर पहुंचाया जाता है। गुलाबी कपड़े से झंडे की किनारी बनाते हैं। इसके बाद गोटे की किनारी और सितारों का काम करते हैं।
जुमे रात को बनाते हैं झंडा
उन्होंने बताया कि उर्स का झंडा प्रतिवर्ष गुरुवार (जुमे रात) को तैयार करते हैं। इसमें पांच से सात घंटे लगते हैं। जुमे को झंडा तैयार कर सौंप देते हैं।
उस्ताद ने सिखाई कला
ओमप्रकाश ने बताया कि उनके पिताजी गणपतलाल फलोदिया ने 1987 तक उर्स का झंडा तैयार किया था। उन्हें यह कला उनके उस्ताद लादूलाल ने सिखाई थी। इसके बाद साल 1988 से वह हर साल झंडा तैयार कर रहे हैं। अब उनका पुत्र सुभाषचंद्र झंडे की सिलाई करता है।
पूजा के समान है काम
वर्मा परिवार के लिए उर्स के झंडे को तैयार करना पूजा के समान है। वह इसे भगवान के साथ-साथ ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की कृपा मानते हैं। उमंग और उत्साह से झंडा तैयार किया जाता है। वह गरीब नवाज और ईश्वर का नाम लेकर सिलाई करते हैं।