फारूक अब्दुल्ला मंगलवार सुबह 11 बजे अजमेर सर्किट हाउस पहुंचे थे। वे मंगलवार को दोपहर 1 बजे और शाम 6 बजे दरगाह गए। दूसरे दिन बुधवार को सुबह 5 बजे दरगाह (
ajmer dargah) पहुंचे और नमाज अदा की। पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने दरगाह में दुआ की है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 70 साल से जिस मुसिबत में फंसे हुए हैं, उससे मुक्ति मिले और कश्मीर मसले का हल हो। इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की और कहा कि कश्मीर मसले में अमरीका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता की बात करके उन्होंने अच्छा कदम उठाया है।
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अजमेर में रेड-कारपेट पर चलेंगे दरगाह कमेटी के विशेष मेहमान अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि 70 सालों से चला आ रहा कश्मीर का मसला हल हो। इसके लिए उन्होंने जो कदम उठाया है, उसका मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा न केवल भारत-पाकिस्तान बल्कि हिन्दू-मुसलमानों के रिश्ते भी खराब कर रहा है।
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यूपीएसी की तैयारी के लिए अजमेर में मिलेगी मुफ्त कोचिंग उनसे से जब कहा गया कि भारत के विदेश मंत्री ने ट्रम्प के दावे को खारिज किया है तो उनका कहना था कि किसने क्या कहा, मैं यह नहीं जानता। लेकिन मोदीजी की मैं तारीफ करता हूं कि उन्होंने एक अच्छा कदम उठाया है। अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री भी जब रूस के बुलाने पर ताशकंद दौरे पर गए थे, तब भी भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे झगड़े खत्म हुए थे। अब भी अगर दोनों देश पहल करते हैं तो यह अच्छी बात है। दोनों देशों के बीच चल रहे मसले उलझेंगे तो हिन्दू-मुसलमानों के बीच नफरतें पैदा होंगी जो कि हमारे देश के लिए खतरा है।
अब्दुल्ला बोले कि लोग कहेंगे वहां बंदूकें चलती हैं। लेकिन क्या अफगानिस्तान में बंदूकें नहीं चल रही, वहां बम नहीं फूटते, वहां लोग नहीं मर रहे? वहां भी तो रूस, अमरीका और चीन शांति बहाली की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह अमरीका अगर कश्मीर मसला हल करने में हमारी मदद करता है तो इसमें गलत क्या है।