सुपरवाईजर को प्रतिदिन यह देखना होगा कि विद्युत सप्लाई सरकार व निगम के द्वारा निर्धारित समय से ही हो रही है। यदि समय से अधिक सप्लाई पाई जाती है तो इंजीनियरिंग सुपरवाइजर को इसकी सूचना कनिष्ठ एवं सहायक अभियंता को देनी होगी। जीएसएस पर कार्य कर रहे कार्मिकों का टाइम शेड्यूल एवं उपस्थिति रिपोर्ट अधिकारियों को प्रस्तुत करनी होगी। इससे कामकाज में तेजी आएगी।
मेंटीनेंस की रिपोर्ट करनी होगी तैयार इंजीनियरिंग सुपरवाइजर को आवंटित जीएसएस की मेंटेनेंस की 15 दिन में रिपोर्ट तैयार कर कनिष्ठ एवं सहायक अभियंता को देनी होगी। जीएसएस पर हर फीडर की छीजत एवं राजस्व की स्थिति की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को देनी होगी। हॉस्पिटल पर बकाया वसूली, सीटीपीटी सेट की जांच, फीडर इंचार्ज के साथ जाकर विद्युत चोरी व दुरुपयोग करने वालों को पहचानना ,ट्रांसफार्मर फेलियार रिपोर्ट बनाना,ओवरलोड ट्रांसफार्मर का सर्वे करना तथा विजिलेंस टीमों का फील्ड में सहयोग करना यह सभी कार्य भी इंजीनियरिंग सुपरवाइजर के जिम्में होंगे।
शटडाउन के लिए जिम्मेदार जीएसएस से निकलने वाले फीडर पर चल रहे मेंटीनेंस की सूचना एवं कर्मचारियों द्वारा लिए गए शटडाउन की जानकारी इंजीनियरिंग सुपरवाइजर को रखनी होगी। कार्य कर रहे कार्मिकों से जानकारी लेकर सप्लाई चालू करवाने के लिए कनिष्ठ एवं सहायक अभियंता को देनी होगी। इसके अलावा जीएसएस में ठेके एवं सीएलआरसी रेट पर किए गए कार्यों तथा जो जीएसएस ठेके पर चल रहे हैं उनका नियमित सुपरविजन भी करना होगा।
खराब मीटर बदलवाने,क्रॉस रीडिंग भी करनी होगी इंजीनियरिंग सुपरवाईजर को उपभोक्ताओं के खराब मीटरों को समय पर बदलवा कर उनकी लैब में जांच करवाने तथा वारंटी के पीरियड के खरब होने वाले मीटर की सूची बनाकर उच्चाधिकारियों को देनी होगी। नए तकनीकी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाने में सहायता करनी होगी। औद्योगिक, पीएचईडी, मोबाइल टावर सरकारी कनेक्शनों कि हर महीने क्रॉस रीडिंग चेकिंग भी करनी होगी। हर फीडर का स्पष्ट नक्शा जिसमें थ्री फेस तथा सिंगल फेज ट्रांसफॉर्मर दर्शाए गए हो तैयार कर उन्हें अपडेट भी करना होगा।