पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि बेंगलूरु में पकड़ा गया पाक नागरिक शफीकुर्रहमान अजमेर में रामगंज थाना क्षेत्र में सात साल तक अवैध तरीके से घूमता रहा। आरोपी शहर में वाहन पर मीडिया लिखकर बेबाकी से यहां-वहां घूमता रहा। यहां तक कि किराए के मकान में रहकर चैजा पत्थर का व्यवसाय करता था लेकिन किसी ने भी उसको नहीं टोका। आखिर वह गत दिनों अजमेर से कर्नाटक बेंगलूरु पहुंचा। जहां कर्नाटक पुलिस ने 5 अक्टूबर को यूपी निवासी परवेज अहमद को पकड़ा। परवेज अहमद के बाद 10 पाक नागरिकों के बेंगलूरु में मौजूदगी का पता चला। पुलिस ने अवैध तरीके से रह रहे 10 पाक नागरिकों को भी पकड़ा। जिसमें शफीकुर्रहमान भी शामिल था।
धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार
पुलिस पड़ताल में किसी की भी अपराधिक गतिविधि में लिप्तता की बात सामने नहीं आई। ये पाक नागरिक पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन एमएफआई के नेता गोहरियान के दर्शन और परवेज अहमद के निर्देशन में धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार में लगे थे। बेंगलूरु पुलिस गहनता से पड़ताल में जुटी है।
मुंह छिपाता रहा शफीकुर्रहमान
बेंगलूरु पुलिस के साथ अजमेर आए शफीकुर्रहमान ने यहां मास्क लगाए रखा। शुक्रवार शाम को बेंगलूरु पुलिस उसको जेएलएन अस्पताल मेडिकल करवाने पहुंची तो शफीकुर्रहमान अपना चेहरा छिपाते रहा। पड़ताल में आया कि आरोपी अजमेर में खुदको मीडियाकर्मी बताता था।
शरणार्थी का मिला था दर्जा
पड़ताल में सामने आया कि परवेज ने शफीकुर्रहमान व उसके जैसे करीब 22 पाक नागरिकों को बांग्लादेश के रास्ते भारत में आने व दिल्ली में बसने में मदद की। परवेज़ 2007 से मेहंदी फाउंडेशन इंटरनेशनल से जुड़ा है। साल 2008 में 63 सदस्य भारत आए थे। उन्होंने दिल्ली में पाक पासपोर्ट जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसमें एक महिला भी शामिल थी। जिसने बाद में परवेज से शादी कर ली जबकि शेष को शरणार्थी का दर्जा दे दिया गया। जिन पर दिल्ली विशेष शाखा नजर रखती है।
इनका कहना है…
अवैध तरीके से भारत आए पाक नागरिक शफीकुर्रहमान को बेंगलूरु पुलिस तस्दीक के लिए अजमेर लेकर आई थी। पुलिस पड़ताल में सामने आया कि शफीकुर्रहमान 2019 से अजमेर में रह रहा था। गतदिनों वह कर्नाटक चला गया। रवीन्द्र सिंह खींची, थानाप्रभारी, रामगंज