यूं हुआ बेटी से मिलन बच्ची गुरुवार शाम करीब 5.30 बजे जैसे ही कलक्टर कक्ष में पहुंची, कलक्टर विश्वमोहन शर्मा बोले ‘आइए बिटिया…, क्या नाम है आपका…, आपके दोस्त हैं…?, उनके नाम क्या है…,? कौनसे गेम्स खेलते हो…?Ó आदि कई सामान्य सवाल किए। उसे अपने पास में बैठाया और चॉकलेट दी, बिस्किट खिलाए। कुछ देर उन्होंने बेटी के साथ बिताए और उसे अपनी कार में बैठाकर दयानंद बाल सदन के लिए रवाना हो गए। सदन में उन्होंने वहां रह रहे निराश्रित बच्चों से उनके नाम पूछे और वहां की व्यवस्थाओं के बारे में प्रबंधक राजेन्द्र कुमार आर्य से जानकारी ली। आर्य ने बताया कि कलक्टर द्वारा गोद ली गई बच्ची काफी चंचल है और गणित विषय में अधिक रुचि रखती है। वह बड़ी होकर शिक्षक बनना चाहती है। जिला कलक्टर के साथ अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना शर्मा भी बाल सदन पहुंचीं।
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बेटी को कलक्टर ‘पापा’ का इंतजार पत्रिका ने दिलाया याद आपकी बेटी योजना के तहत मई 2016 में पूर्व जिला कलक्टर गौरव गोयल ने बतौर कलक्टर शिशु गृह में पल रही चार साल की एक बच्ची की पढ़ाई का जिम्मा उठाया था। तब से यह बच्ची कलक्टर को ही अपना पापा मानती है। मई 2018 में गोयल का तबादला हो गया। उसके बाद 6 महीने बच्ची का पढ़ाई का जिम्मा एक निजी स्कूल पर रहा। पिछले एक साल से यह बच्ची दयानंद बाल सदन में रह कर पढ़ाई कर रही है, लेकिन जिला कलक्टर बच्ची से नहीं मिल पाए। इसे लेकर राजस्थान पत्रिका ने गुरुवार के अंक में ‘अजमेर की बेटी को कलक्टर पापा का इंतजार Ó शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसके बाद कलक्टर शर्मा बच्ची से मिले।