script#corona impact: इस साल विश्वविद्यालयों के कॉमन सिलेबस बनना मुश्किल | #corona impact: Common syllabus framing not possible in 2020 | Patrika News
अजमेर

#corona impact: इस साल विश्वविद्यालयों के कॉमन सिलेबस बनना मुश्किल

कई यूनिवर्सिटी में खत्म हुआ बोर्ड ऑफ स्टडीज का कार्यकाल

अजमेरMay 08, 2020 / 08:42 am

raktim tiwari

common syllabus in university

common syllabus in university

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

विश्वविद्यालयों के लिए इस साल कॉमन सिलेबस बनना मुश्किल है। दरअसल कई विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ स्टडीज का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इसके अलावा सिलेबस बनाने और उसके अनुसार किताबें उपलब्ध कराना भी आसान नहीं है।
राजभवन राज्य के 28 सरकारी विश्वविद्यालयों में कॉमन सिलेबस लागू करने का पक्षधर हैं। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के लॉ, कला, वाणिज्य, विज्ञान, ललित कला, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान संकाय से जुड़े सिलेबस शामिल हैं। नियमानुसार विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या समिति (बोर्ड ऑफ स्टडीज) विषयवार पाठ्यक्रम तैयार करती हैं। समितियों में विभिन्न कॉलेज और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, रीडर और विशेषज्ञ शामिल किए जाते हैं।
तीन विश्वविद्यालयों पर अहम जिम्मेदारी
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर और एम.एल. सुखाडिय़ा विवि उदयपुर पर सिलेबस बनाने की अहम जिम्मेदारी है। अव्वल तो इन विश्वविद्यालयों में संकायवार सर्वाधिक विशेषज्ञ और शिक्षक हैं। अन्य विश्वविद्यालयों में संकायवार शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
Read more: चैन्नई के क्वॉरंटीन सेंटर से दो कोरोना पॉजिटिव भागे, एक धौलपुर और दूसरे को तिरुपति बालाजी में पकड़ा

यह हैं कॉमन सिलेबस में रोड़े…
-राजस्थान विवि के अधिकांश बोर्ड ऑफ स्टडीज का कार्यकाल खत्म
-विषयवार सभी विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों की बैठक जरूरी
-सिलेबस बनने के बाद राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग से मंजूरी
-सिलेबस के अनुसार किताबों का प्रकाशन और वितरण
-विद्यार्थियों तक सिलेबस और किताबों की उपलब्धता
Read more: आगे चल रहे वाहन में घुसा ट्रेलर -केबिन में फंसे ड्राइवर को मुश्किल से निकाला

ये चलते हैं विश्वविद्यालयों में कोर्स
एलएलएम, हिंदी, अंग्रेजी, बीए-बीएससी बीएड, 2 और 5 वर्षीय एलएलबी कोर्स, बीपीएड और एमपीएड, बीए/एम.ए फाइन आट्र्स कोर्स, डी-फार्मा और बी-फार्मा कोर्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, गणित, जूलॉजी, बॉटनी, अर्थशास्त्र, कॉमर्स, इतिहास, राजनीति विज्ञान, एमसीए, बीसीए, पीजीडीसीए, एमबीए,, पर्यावरण विज्ञान और अन्य
15 साल में विफल हुए प्रयास…
2005 से लगातार विश्वविद्यालयों में कॉमन सिलेबस लागू करने की योजनाएं बन रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील (तत्कालीन राज्यपाल), पूर्व राज्यपाल शीलेंद्र कुमार सिंह, प्रभा राव के कार्यकाल में कॉमन सिलेबस बनाने की चर्चा हुई। लेकिन विश्वविद्यालय खुद के कोर्स, पेपर स्कीम को श्रेष्ठ मानते हुए एकराय नहीं हो पाए।
यूजीसी ने बनाए हैं सिलेबस
यूजीसी ने विषयवार-संकायवार कॉमन सिलेबस तैयार किए हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कई राज्यों के विश्वविद्यालयों ने इसे अपनाया है। इनमें 70 प्रतिशत विषयों के पेपर-कोर्स समान हैं। जबकि 30 प्रतिशत पेपर-कोर्स को राज्यों के विश्वविद्यालयों ने क्षेत्रीय आवश्यकतानुसार शामिल किया है।
कॉमन सिलेबस बनाने की योजना बहुत अच्छी है। सभी विवि की बोर्ड ऑफ स्टडीज के विशेषज्ञों को संयुक्त रूप से बुलाना, पेपर और कोर्स बनाना आसान नहीं है। सिलेबस के अनुसार किताबें भी प्रिंट होकर विद्यार्थियों तक पहुंचनी जरूरी हैं। लेकिन इस साल धीरे-धीरे प्रयास किए जाएं तो अगले साल कॉमन सिलेबस तैयार किए जा सकते हैं।
प्रो. पी. सी.त्रिवेदी, कन्वीनर कॉमन सिलेबस और कुलपति जेएनवी विवि

Hindi News / Ajmer / #corona impact: इस साल विश्वविद्यालयों के कॉमन सिलेबस बनना मुश्किल

ट्रेंडिंग वीडियो