वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहेंगी। ब्यावर के मसूदा-जवाजा क्षेत्र सहित अजमेर के तारागढ़-कल्याणीपुरा गांव के निकट पैंथर देखे गए हैं। वहीं वन विभाग को बीते पांच-छह साल में गणना के दौरान पैंथर नहीं दिखे हैं। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।
जिले के शोकलिया वन्य क्षेत्र से गोडावण नदारद हो चुके हैं। पिछले कई साल से वन विभाग को यहां गोडावण नहीं मिले हैं। 2001 की गणना में यहां 33 गोडावण थे। 2002 में 52, 2004 में 32 गोडावण मिले। इसके बाद यह सिलसिला घटता चला गया। पिछले पांच साल में यहां एक भी गोडावण नहीं मिले हैं। वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 37के तहत शोकालिया वन क्षेत्र शिकार निषिद्ध क्षेत्र घोषित है।