पत्थरगढ़ी का हो रहा था कामशुक्रवार शाम 4 बजे कायड़ विश्रामस्थली गेट नम्बर 13 के सामने परिवहन विभाग को ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रेक बनाने के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से आवंटित 1.7606 हैक्टेयर भूमि पर चल रहा पिलर निर्माण कार्य कुछ लोगों ने आकर रुकवा दिया। उन्होंने जमीन पर स्वयं का मालिकाना हक बताया। जिसका कोर्ट में वाद विचाराधीन है। दावेदारों के काम बंद करवाने की सूचना पर जिला परिवहन अधिकारी जाकिर हुसैन, सहा.प्रशासनिक अधिकारी हेमन्त शर्मा, परिवहन निरीक्षक रणधीर सिंह जौहर व आशीष जैन पहुंचे। मौके पर मौजूद गगवाना निवासी शौकत व एक अन्य दावेदार ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को जमीन का मालिकाना हक स्वयं के पक्ष में होने का दावा किया। उन्होंने जमीन पर न्यायालय में विचाराधीन वाद की प्रति दिखाई। आखिर विभागीय अधिकारी काम बंद करवाकर लौट आए।
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पड़ताल में आया कि एडीए ने गत 10 जून 2024 को बजट घोषणा 2018-19 के क्रम में अजमेर में ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रेक निर्माण के लिए परिवहन विभाग को कायड के खसरा नम्बर 4506 व 4510 रकबा में 1.7606 हैक्टेयर में से 60 मीटर चौडी सडक के मार्गाधिकार में आने वाली भूमि के पश्चात शेष भूमि निःशुल्क आवंटन की थी। जमीन आवंटन के बाद परिवहन विभाग ने शुक्रवार को काम शुरू करने पर जमीन पर 24 मई 2024 को कोर्ट स्टे व वाद न्यायालय में विचाराधीन होना सामने आया।
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पत्रिका पड़ताल में आया कि कायड़ विश्राम स्थल से लगती करीब 64 बीघा जमीन कायड़ ग्राम पंचायत क्षेत्र में 1970-71 में कालबेलिया नाथ समाज को खेती-किसानी के लिए आवंटित की गई थी। काश्त नहीं किए जाने से जमीन का आवंटन सरकारी रिकॉर्ड में निरस्त हो गया लेकिन कालबेलिया नाथ समाज के श्रवणनाथ ने पुराने दस्तावेज के आधार पर जमीन 2006 में एक लाख रुपए में इकरारनामे पर बेच दी। लेकिन जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवाई। इसके बाद श्रवणनाथ की मृत्यु हो गई। सूत्रों के मुताबिक एडीए की ओर से जमीन आवंटित करना पता चलने पर खरीदारों ने न्यायालय की शरण ले ली।
इनका कहना है…
परिवहन विभाग को जमीन आवंटित कर दी थी। आवंटन के समय जमीन पर कोई काबिज नहीं था। भरतराज गुर्जर, उपायुक्त (उत्तर) एडीए
परिवहन विभाग को आवंटित जमीन पर पिलर बनाने का काम शुरू किया था। पिलर का काम शुरू होने से पहले ही दो लोग जमीन पर चल रहे विवाद का स्टे ऑर्डर लेकर पहुंच गए।
जाकिर हुसैन, जिला परिवहन अधिकारी