अहमदाबाद. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आवास स्थल और आजादी के आंदोलन का अहम केन्द्र रहे साबरमती आश्रम की स्केच ड्रॉइंग (चित्रकला) और आर्किटेक्चर ड्रॉइंग को अब लोग खादी के पोस्टकार्ड पर भी देख सकेंगे। डाक के विशेष कवर पर भी यह नजर आएगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जंयती पर सोमवार (2 अक्टूबर) को इस विशेष पोस्टकार्ड व कवर को जारी किया गया। इसकी विशेषता यह है कि यह कागज पर न होकर खादी पर प्रिंट हुआ है। जिससे इसे 100 सालों तक संजोकर रखा जा सकता है। पीले रंग का न होकर खादी के रंग का ऑफ व्हाइट में होगा। गांधी जयंती पर मुख्य अतिथि बनीं मुंबई मणि भवन गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष ऊषा ठक्कर और गुजरात सर्कल के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल नीरज कुमार ने गांधी जयंती पर इन्हें जारी किया। इस दौरान साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एडं मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक अतुल पंड्या, उप निदेशक डॉ.विराट कोठारी, सचिव अमृत मोदी व अन्य गांधीवादी व लोग उपस्थित रहे।
साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एडं मेमोरियल ट्रस्ट के उप निदेशक डॉ.विराट कोठारी ने बताया कि ट्रस्ट ने भारतीय डाक विभाग (फिलाटली) के साथ मिलकर इसे तैयार व प्रिंट किया है। करीब एक महीने की मेहनत के बाद इसे अंतिम रूप दिया है।
साबरमती आश्रम की स्केच ड्रॉइंग के 18 पोस्टकार्ड
डॉ.कोठारी ने बताया कि वर्ष 1953-54 में दत्ता महा नाम के स्केच आर्टिस्ट ने साबरमती आश्रम व उससे जुड़े अहम स्थलों की 18 स्केच ड्रॉइंग तैयार की थीं। बापूजी की तपोभूमि नाम किताब में इसका उल्लेख है। दत्ता महा की ओर से बनाई गई इन 18 स्केच ड्राइंग पर ट्रस्ट ने खादी के 18 पोस्टकार्ड बनाए हैं। इनमें उनकी ओर से बनाई गई हृदयकुंज, विनोबा भावे कुटीर, मगन निवास, नंदिनी, गौशाला जैसे प्रमुख स्थल की स्केच ड्रॉइंग शामिल हैं।
बापू कुटी सहित 11 संस्थानों की आर्किटेक्चर ड्रॉइंग के भी पोस्टकार्ड
डॉ. कोठारी ने बताया कि देशभर में महात्मा गांधी से जुड़़ी कई महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। इसमें से प्रमुख 27 संस्थाओं की आर्किटेक्चर ड्रॉइंग भी तैयार की गई हैं। उसमें से चुनिंदा 11 आर्किटेक्चर ड्रॉइंग के भी खादी पोस्टकार्ड व कवर तैयार किए हैं। इनमें मणिभुवन-मुंबई, हरिजन सेवक संघ दिल्ली, साबरमती आश्रम-अहमदाबाद, बापू कुटी-वर्धा, बजाज वाड़ी वर्धा जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं। इन्हें भी गांधी जयंती पर जारी किया गया।
100 साल तक संजो सकेंगे पोस्टकार्ड
यह पोस्टकार्ड लोगों को कागज की जगह खादी के कवर पर प्रिंट हुए मिलेंगे। खादी पर प्रिंटिंग करना आसान नहीं है, लेकिन साबरमती आश्रम ने ऐसा करने में सफलता पाई है। खादी की लाइफ 100 साल की होती है। जिससे इस पोस्टकार्ड को लोग 100 साल तक आसानी से संजोकर रख सकेंगे।