चावल के भूसे का उपयोग इथेनॉल का उत्पादन के लक्ष्य के साथ स्थापित यह रिफाइनरी एशिया की पहली रिफाइनरी है। 2 जी इथेनॉल संयंत्र में इथेनॉल के उत्पादन के लिए चावल के भूसे का उपयोग किया जा रहा है। आस-पास के करीब 89 हजार किसानों ेसे यह भूसा लिया जाता है। यह वही पराली है जिसे दिल्ली और आस-पास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण का कारण माना जाता रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण, किसानों की बढ़ेगी आय खेत में पड़ी इस पराली का अब इस संयंत्र में उपयोग किया जा रहा है। फिलहाल पानीपत और इसके आसपास के गांवों के किसानों से चावल का यह भूसा लिया जा रहा है। इसके चलते प्रदूषण नियंत्रित हो सकेगा वहीं किसानों की आय भी हो सकेगी। इस संयंत्र के चलते रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
इस संयंत्र में मुख्य तौर पर बायो मास प्रिप्रेशन सेक्शन, मुख्य प्रोसेसिंग प्लांट, इंजायमेटिक हाइड्रोलिसिस, को फरमेंटेशन, डिस्टिेलशन, रेक्टिफायर कम एक्झॉस्ट कॉलम, डिगैसिफाइंग कॉलम, स्पिलिट एनालाइजर कॉलम, रेसिड्यू हैंडलिंग सेक्शन और इवेपोरटर्स शामिल हैं।
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