डीटूडी फार्मेसी में नहीं मिल रहे विद्यार्थी
बीफार्मए-डीफार्म में तो सीटें पड़ रही हैं कम, उधर…,१४३१ सीटों में से सिर्फ ७८ ने लिया प्रवेश, ११९ विद्यार्थी थे मेरिट लिस्ट में शामिल
डीटूडी फार्मेसी में नहीं मिल रहे विद्यार्थी
अहमदाबाद. गुजरात में बेचलर ऑफ फॉर्मेसी (बीफार्म) और डिप्लोमा फॉर्मेसी (डीफार्म) पाठ्यक्रम के बीते करीब तीन सालों से दिन ऐसे बहुरे हैं कि सीटें कम पड़ रही हैं,लेकिन यदि बात डिप्लोमा फार्मेसीधारकों के लिए डिग्री फार्मेसी में आरक्षित सीटों पर प्रवेश की करें तो (डीटूडी फार्मेसी) के लिए विद्यार्थी ही नहीं मिल रहे हैं।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष जून-२०१८ से शुरू हुए शैक्षणिक वर्ष में डीटूडी फार्मेसी पाठ्यक्रम में राज्य में १४३१ सीटें उपलब्ध हैं। इसमें प्रवेश के लिए सिर्फ ११९ विद्यार्थी ही मेरिट लिस्ट में शामिल हुए। उसमें से भी सिर्फ ७८ विद्यार्थियों ने ही बुधवार को एल.डी.इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई काउंसिंलग के दौरान प्रवेश स्वीकारा है।
डीटूडी में इतनी सीटें होने के बावजूद भी ज्यादातर सीटें खाली रह गईं। हालांकि रिक्त रहीं सभी सीटें निजी डिग्री फार्मेसी कॉलेजों की हैं। सरकारी कॉलेज की सभी सीटें भर गई हैं। विद्यार्थियों में इस कोर्स को करने के प्रति जागरुकता की भी कमी दिखाई देती है।
व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रवेश समिति (एसीपीसी) के सदस्य सचिव प्रो.जी.पी.वडोदरिया बताते हैं कि डीटूडी फार्मेसी पाठ्यक्रम में राज्य में ६९ कॉलेजों में १४३१ सीटें हैं। लेकिन सिर्फ ७८ सीटें ही भरी हैं। सरकारी चार डिग्री फार्मेसी कॉलेजों में उपलब्ध सभी ६६ सीटें भर गई हैं।
निजी कॉलेजों को केवल १२ विद्यार्थी ही मिले हैं जबकि ६५ निजी फार्मेसी कॉलेज राज्य में हैं। वडोदरिया बताते हैं कि ऐसी स्थिति इसलिए है क्योंकि डिप्लोमा फार्मेसी की कॉलेजें राज्य में कम हैं। 11 कॉलेज ही हैं जिसमें ६८३ सीटे हैं। ऐसे में गहनता के साथ पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम है। जो हैं भी उनमें से ज्यादातर विद्यार्थी सरकारी कॉलेज में ही पढ़ाई करने के इच्छुक हैं। निजी कॉलेज की फीस का बोझ लेना नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि डीटूडी पाठ्यक्रम में सीटें होने के बावजूद भी विद्यार्थी नहीं मिल रहे हैं।
बीफार्म, डीफार्म की बात करें तो 12वीं के बाद विद्यार्थियों को बीते कुछ वर्षों से प्रवेश लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जीटीयू की ओर से केन्द्रीय स्तर पर भर्ती मेले आयोजित किए जाते हैं, जिसमें अच्छे वेतन पर नौकरी भी मिल रही है। यही वजह है कि तीन चार सालों से बीफार्म, डीफार्म की सभी सीटें भर जाती हैं। सीटों से ज्यादा विद्यार्थी आवेदन करते हैं। वरना् उससे पहले इन दोनों ही कोर्स की भी हालत बीई जैसी ही थी।
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