एक बार कोरोना का संक्रमण लगने के बाद जब मरीज स्वस्थ हो जाता है तब उसके शरीर में एन्टीबॉडी उत्पन्न होती है। एन्टीबॉडी की यह प्रक्रिया बीमारी से लडऩे में मदद करती है। ऐसे लोगों के रक्तदान करने पर प्लाज्मा निकाला जाता है । चिकित्सकों का कहना है कि यह प्लाज्मा कोरोना के मरीजों में उपयोग होता है तब उनके शरीर में भी एन्टीबॉडी बनती है जिससे मरीज की हालत सुधरने लगती है। एक व्यक्ति के शरीर से लिए जाने वाले प्लाज्मा से कोरोना के दो मरीजों का उपचार किया जा सकता है। कोरोना संक्रमित होकर व्यक्ति की रिपोर्ट जब नेगेटिव आती है तो उसके दो सप्ताह बाद प्लाज्मा दान किया जा सकता है।