उन्होंने भारत की ओर से 1952 और 1961 के बीच 11 टेस्ट मैच खेले। साथ ही वे 1959 में इंग्लैण्ड के दौरे पर कप्तान नियुक्त किए गए थे। 27 अक्टूबर 1928 को जन्मे दाएं हाथ के बल्लेबाज गायकवाड ने टेस्ट करियर में 350 रन बनाए जिसमें नई दिल्ली टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ उनका सर्वोच्च स्कोर 52 रहा।
वे बेहतरीन रक्षात्मक खेल और ड्राइव के लिए जाने जाते थे, साथ ही उन्हेें बेजोड़ फिल्डर भी माना जाता था। आजादी के बाद वर्ष 1952 में भारत के पहले इंग्लैण्ड दौरे पर विजय हजारे की कप्तानी में लीड्स के मैदान में उन्होंने टेस्ट मैच में पर्दापण किया था। गायकवाड ने अपना करियर सलामी बल्लेबाज के रूप में आरंभ किया था लेकिन बाद में वे मध्यक्रम में खेलने लगे। दस साल के अंतरराष्ट्रीय करियर का अंतिम मैच उन्होंने 1961 में चेन्नई में पाकिस्तान के खिलाफ खेला।
बड़ौदा क्रिकेट के लिए अमूल्य योगदान गायकवाड का बड़ौदा क्रिकेट के लिए अमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने अपनी सूझबूझ से कई क्रिकेटर तैयार किए। उनकी कई यादगार पारियों को आज भी क्रिकेट प्रेमी याद करते हैं। 1947 से 1961 तक वे बड़ौदा की ओर से रणजी ट्रॉफी खेले। इस घरेलू टूर्नामेंट में वे बड़ौदा टीम के अहम खिलाड़ी के रूप में रहे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 17 शतकों के साथ 5788 रन बनाए। उनकी कप्तानी में बड़ौदा ने सन 1957-58 के सीजन में सर्विसेज की टीम को हराकर रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था। उनके पुत्र अंशुमन गायकवाड़ भी भारतीय टीम का हिस्सा रहे जो बाद में कोच भी रहे।
क्रिकेट समुदाय के लिए बड़ी क्षति: इरफान पठाण भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी इरफान पठान ने एक्स पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि गायकवाड सर ने वडोदरा क्रिकेट के लिए अथक मेहनत कर युवा प्रतिमाएं खोज निकाली और हमारी टीम के भविष्य को संवारा। उन्हें खूब याद किया जाएगा क्रिकेट समुदाय के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है।
वडोदरा में शोक की लहर दिग्गज टेस्ट क्रिकेटर रहे दत्ताजीराव गायकवाड के निधन पर वडोदरा के क्रिकेट प्रेमियों में शोक की लहर फैल गई। शहर के कीर्ति मंदिर में उनके अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में क्रिकेट प्रेमी उपस्थित रहे।