मूषक के बजाए सिंह पर सवार सामान्यतया गणेशजी को मूषक पर सवार ही देखा जाता रहा है, सौराष्ट्र में एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध गिर राष्ट्रीय अभ्यारण्य मौजूद है और ढांक गांव के सिद्धि विनायक मंदिर में भी मूषक के बजाए सिंह (शेर) पर सिद्धि विनायक गणेशजी विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी भरतगिरि गोस्वामी के अनुसार मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर में पहुंचकर गणेशजी की पूजा की थी।
विदेश से भी प्राप्त होते हैं पत्र
पुजारी भरतगिरि गोस्वामी के अनुसार मंदिर में अमरीका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से भी भक्त अपनी समस्याएं पत्र के माध्यम से भेज रहे हैं। इनके अलावा विवाह, पारिवारिक समस्याओं, निजी जीवन में आने वाली विपत्तियों के बारे में भी भक्त अपने पत्र लिखते हैं और गणेशजी की ओर से भक्तों के विघ्न को दूर किया जाता है।
सामान्य दिनों में मिलते हैं &0, महोत्सव में 5 गुना से ’यादा पत्र उनके अनुसार सामान्य दिनों में गणपति के नाम पर प्राप्त होने वाले पत्रों की संख्या लगभग &0 होती है लेकिन गणेश महोत्सव के दौरान पत्रों की संख्या 5 गुना बढ़ जाती है। यानी मंदिर को रोजाना करीब 200 पत्र मिलते हैं। एक-दूसरे तक बात पहुंचने पर मंदिर में आने वाले भक्तों के साथ-साथ पत्रों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। भक्तों की ओर से भेजे गए वर्षों पुराने पत्रों को मंदिर में सुरक्षित रखा है।