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अहमदाबाद

महोत्सव में लगे व्यथा लिखे पत्रों के ढेर, विघ्न दूर कर रहे गणेशजी

ढांक में पत्र पढक़र सिद्धि विनायक को भक्तों की वेदना सुना रहे पुजारी

अहमदाबादSep 04, 2022 / 10:52 pm

Rajesh Bhatnagar

महोत्सव में लगे व्यथा लिखे पत्रों के ढेर, विघ्न दूर कर रहे गणेशजी

महोत्सव में लगे व्यथा लिखे पत्रों के ढेर, विघ्न दूर कर रहे गणेशजी

रोहित सांगाणी

राजकोट. राजकोट की उपलेटा तहसील के ढांक गांव में दुंदाला देव के प्राचीन स्वयंभू सिद्धि विनायक मंदिर में गणपति महोत्सव के दौरान भक्तों की व्यथाओं के पत्रों के ढेर लगे हैं, भक्तों की ओर से वेदना लिखकर भेजे गए पत्रों को पुजारी एकांत में स्वयं पढक़र गणेशजी को सुना रहे हैं और सिद्धि विनायक की ओर से भक्तों के विघ्न दूर किए जा रहे हैं।
मान्यता के अनुसार प्राचीन मंदिर में आने वालों की बाधाओं को तो गणपति दूर करते ही हैं, साथ ही गणपति के दर्शन करने के लिए आने में असमर्थ लोग अपनी व्यथा को पत्र के माध्यम लिखकर मंदिर के पते पर भेजते हैं। मंदिर के पुजारी उन पत्रों को एकांत में पढक़र गणेशजी को भक्तों की वेदना सुनाते हैं, वेदना सुनकर सिद्धि विनायक की ओर से भक्तों के विघ्न दूर किए जा रहे हैं।
मूषक के बजाए सिंह पर सवार

सामान्यतया गणेशजी को मूषक पर सवार ही देखा जाता रहा है, सौराष्ट्र में एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध गिर राष्ट्रीय अभ्यारण्य मौजूद है और ढांक गांव के सिद्धि विनायक मंदिर में भी मूषक के बजाए सिंह (शेर) पर सिद्धि विनायक गणेशजी विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी भरतगिरि गोस्वामी के अनुसार मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर में पहुंचकर गणेशजी की पूजा की थी।

विदेश से भी प्राप्त होते हैं पत्र
पुजारी भरतगिरि गोस्वामी के अनुसार मंदिर में अमरीका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से भी भक्त अपनी समस्याएं पत्र के माध्यम से भेज रहे हैं। इनके अलावा विवाह, पारिवारिक समस्याओं, निजी जीवन में आने वाली विपत्तियों के बारे में भी भक्त अपने पत्र लिखते हैं और गणेशजी की ओर से भक्तों के विघ्न को दूर किया जाता है।
सामान्य दिनों में मिलते हैं &0, महोत्सव में 5 गुना से ’यादा पत्र

उनके अनुसार सामान्य दिनों में गणपति के नाम पर प्राप्त होने वाले पत्रों की संख्या लगभग &0 होती है लेकिन गणेश महोत्सव के दौरान पत्रों की संख्या 5 गुना बढ़ जाती है। यानी मंदिर को रोजाना करीब 200 पत्र मिलते हैं। एक-दूसरे तक बात पहुंचने पर मंदिर में आने वाले भक्तों के साथ-साथ पत्रों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। भक्तों की ओर से भेजे गए वर्षों पुराने पत्रों को मंदिर में सुरक्षित रखा है।

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