खंडपीठ ने कहा कि एमबीबीएस की डिग्री तो कोई भी होशियार विद्यार्थी अपनी मेहनत से प्राप्त कर सकता है लेकिन जब कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के संकट की स्थिति हो तब मानव की सेवा उपचार करने का अवसर कुछ नसीबवालों को ही मिलता है। विद्यार्थियों को यह अवसर मिला है और वे कोरोना की महामारी की जंग में कोरोना वॉरियर्स बन सकते हैं। इससे चिकित्सक बनने का आत्मसंतोष भी मिलेगा। विद्यार्थियों के लिए एक ओर ड्यूटी है जबकि दूसरी ओर वैश्विक व ऐतिहासिक चुनौती का अनुभव करने का जीवन का बहुमू्ल्य अवसर भी है। ड्यूटी के बदले उन्हें कोई जान बचाने का संतोष मिलेगा। मित्रों, परिवारों में उनका सम्मान बढ़ेगा। इसलिए इस अवसर को विद्यार्थियों को स्वीकार करते हुए एमबीबीएस को ‘मेडिक्स बाउंड बाय सर्विस’ की उक्ति बनाकर चरितार्थ करना चाहिए। खंडपीठ ने राज्य सरकार से इन विद्यार्थियों को ड्यूटी पर रखे जाने से पहले कई बातों का ध्यान भी रखने को कहा है।